जानकारी के अनुसार कस्बे के पुराने ग्राम पंचायत भवन के पास होम्योपैथीक औषधालय की भूमि है और उसके पास उपलब्ध पट्टा 27 मार्च 198 4 के अनुसार 100.50 फीट जगह थी। जब इसकी नपती करवाईतो जगह कम निकली। उस समय सीमांकन करते हुए राजकीय चिकित्सालय के पुराने भवन को गिराया और उसका स्वामित्व राजकीय होम्योपैथीक औषधालय के प्रभारी चिकित्सा अधिकारी को सपुर्द कर दिया गया। इसके बाद यहां शीघ्र ही भवन बनाए जाने की आस जगी लेकिन भूमि विवाद न्यायालय में विचाराधीन होने के कारण औषधालय का निर्माण नहीं हो सका है।
अब न्यायालय के निर्णय के बाद ही इसका निर्माण किया जाना संभव होगा। ये औषधालय 1979 से मंदिर के किराए के भवन में चल रहा है। गांव के मनोज भारद्वाज, वीरेंद्र सिंह, पुनीत शर्मा, मकसूद खान, शेरसिंह गोस्वामी ने बताया राजकीय होम्योपैथिक चिकित्सालय के नए भवन बनने से चिकित्सा सेवाओं के विस्तार में काफी अपार संभावना है। औषधालय में आस-पास के 20 गांवों के लोग यहां उपचार के लिए आते हैं। प्रतिदिन 15 से 20 मरीज इलाज के लिए यहां आते हैं।
इनका कहना है
राजकीय होम्योपैथीक चिकित्सालय भवन निर्माण के लिए उपलब्ध पट्टासुदा भूमि का प्रकरण सिविल न्यायालय राजगढ़ में विचाराधीन है। निर्णय आने के बाद ही उच्चाधिकारियों के मिलने वाले निर्देशानुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी।
डा. नवीन बेनीवाल,औषधालय प्रभारी, सांखूफोर्ट