पराली के प्रदूषण से प्रभावित स्कूल संचालक हंसराज भाम्भू ने बताया कि करीब 5 वर्ष पहले जब ग्रामीणों ने इस समस्या का मुद्दा उठाया था। जिला प्रशासन ने प्रदूषण नियत्रंण बोर्ड सीकर से इसकी जांच करवाई। तब जांच कमेटी ने 30 अक्टूबर 2017 की जांच रिपोर्ट में इसे गम्भीर मानते हुए प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड सीकर के निरीक्षण प्रतिवेदन में उप तहसील साहवा के नोहर-भादरा तिराहा पर पराली चारे कटाई की 50-55 मशीनों के भयंकर प्रदूषण से चार-पांच शिक्षण संस्थानों के हजारों विद्यार्थियों स्थानीय निवासियों को समस्या रहती है की रिपोर्ट तहसीलदार तारानगर, एसडीएम एवं जिला कलक्टर चूरू को भेजी थी। इसके उपरांत फरवरी 2020 में कृषि भूमि मालिकों को धारा 177 के तहत नोटिस जारी कर जवाब मांगा गया। 10 अप्रेल 2021 को दूसरी बार पराली टालों में भयंकर आग एवं 12 मई 2022 को उसी स्थान पर तीसरी बार टालों में आग लगने पर 30 मई 2022 को धारा 133 के तहत सभी पराली टाल संचालकों को अंतिम नोटिस जारी किया था। इसके तहत 22 जून 2022 तक जवाब देना था। इसके बाद सभी पराली टालों के संचालकों ने हलफनामा पेश कर अवगत कराया गया कि पराली टाल बंद कर दी है। पुन: इस स्थान पर पराली कारोबार नहीं करेंगे, लेकिन कुछ समय बाद इसी स्थान पर पराली टाल फिर से शुरू हो गई। अब प्रशासन इसकी कोई सुध नहीं ले रहा।
इस प्रकरण में उपखंड अधिकारी तारानगर कार्रवाई करने में सक्षम है, वे मामले की गंभीरता को देखते हुए जनहित में नियमानुसार कार्रवाई अवश्य करेंगे।
लोकेश कुमार, एडीएम चूरू पराली की कुतर काटने से उठ रही गर्द एवं कुट्टी मशीनों के इंजन के धुंए और पीओपी फैक्ट्रियों से फैल रहे प्रदूषण की समस्या के स्थायी समाधान के लिए उच्चाधिकारियों के निर्देशानुसार उचित कार्रवाई की जाएगी।
पवन कुमार स्वामी, नायब तहसीलदार, उपतहसील, साहवा