पाइप वाली पिचकारी व पिटठू बैग वाली पिचकारी की बजाय इस बार बाजार में बैटरी से चलने वाली पिचकारी बच्चों को लुभा रही है। मोजासिया चौक स्थित रंगों के कारोबारी जगत अग्रवाल ने बताया कि बैटरी वाली पिचकारी एक बार चार्ज करने के बाद यह एक घंटे तक काम करती है। होली मिलन समारोह जैसे आयोजनों के लिए गुलाल के सिलेंडर आए हुए हैं, जिनमें एक से पांच किलो तक गुलाल भरा जा सकता है, ये गुलाल एक साथ फेंका जाता है।
होली के लिए बाजारों में सजी है खास टीशर्टें
होली खेलने के लिए सफेद रंग की टीशर्ट आई हुई है जो बच्चों और बड़ों सभी को पसंद आ रही हैं। पुरानी सड़क स्थित रंगों के कारोबारी कौशल कुमार ने बताया कि इस बार टीशर्टों की बिक्री हो रही है। इन पर होली की शुभकामनाएं व बूरा ना मानो होली है जैसे संदेश लिखे हुए हैं। ये टीशर्ट वॉशेबल है। इनका धोते ही रंग भी आसानी से साफ हो जाएंगे।
बच्चों को लुभा रहे मुखौटे
बच्चें को मुखौटा बहुत पसंद आ रहा है। होली के लिए शेर, भालू, बंदर, बिल्ली, लोमड़ी, रीछ आदि के मुखौटे बहुत पसंद आ रहे हैं। इसके साथ ही कार्टून करेक्टर के मुखौटे भी खूब बिक रहे हैं।
रंग-बिरंगे बालों वाले हेयर विग खूब बिक रहे
होली पर रंग डालने से बाल खराब हो जाते हैं। यही वजह है कि इस बार बाजार में बालों के लिए खासतौर से हेयर विग दुकानों पर सजे हैं। हालांकि पहले एक ही तरह के काले रंग के हेयर विग युवकों व युवतियों की पहली पसंद थे। मगर, इस बार रंग-बिरंगे बालों वाले हेयर विग खूब बिक रहे हैं। इसके अलावा कई तरह की राजस्थानी पगड़ियां व टोपियां भी खूब बिक रही है।
रासायनिक रंगों से करें बचाव
होली पर बाजारों में दुकानों पर बिकने वाले रासायनिक रंगों के इस्तेमाल को लेकर चिकित्सकों का कहना है कि इनसे बचना चाहिए। पीडीयू मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. शशिकांत अग्रवाल ने बताया कि रासायनिक रंगों से दूर रहना चाहिए। इनसे त्वचा में संक्रमण होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा होली खेलते समय रंगों के आंखों में चले जाने के कारण आंखों के खराब होने का खतरा रहता है। आंखों की रोशनी चले जाने के कई मामले सामने आए हैं। डॉ. शशिकांत अग्रवाल ने बताया कि अच्छी गुलाल या फिर ऑर्गेनिक रंगों से होली खेलना सुरक्षित रहता है।