आजादी के 74 वर्षों के बाद भी उत्तर- पश्चिम रेलवे के रतनगढ़ – डेगाना खंड के कई स्टेशन ऐसे हैं जो आज तक राजधानी जयपुर से सीधे नहीं जुड़ पाए हैं।
चुरू•Oct 24, 2021 / 12:19 pm•
Madhusudan Sharma
74 वर्ष बाद भी राजधानी से नहीं जुड़े कई रेलवे स्टेशन
चूरू. आजादी के 74 वर्षों के बाद भी उत्तर- पश्चिम रेलवे के रतनगढ़ – डेगाना खंड के कई स्टेशन ऐसे हैं जो आज तक राजधानी जयपुर से सीधे नहीं जुड़ पाए हैं। इसे हम भारतीय रेलवे की उपलब्धि कहें या नाकामी की इस सेक्शन के शहरों व स्टेशनों को अब तक जयपुर से कोई सीधी रेल सेवा उपलब्ध नहीं करा पाया है। आजादी के इतने साल बीत जाने के बावजूद पडि़हारा, तालछापर, सुजानगढ़, लाडनूं, डीडवाना, खुनखुना व छोटी खाटू आदि रेलवे स्टेशन राजधानी जयपुर से सीधे नहीं जुड़ पाए हैं। ऐसे में लोगों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
अगर रेलवे ये काम करे तो हो फायदा
नोखा – सीकर नई रेल लाइन का निर्माण वाया सांडवा, कातर, बीदासर, सुजानगढ़, लाडनूं, सालासर व सीकर जिसका सर्वे 2012 में होकर फ ाइल रेल मंत्रालय में वित्तीय स्वीकृति के अटकी हुई है। अब इस परियोजना को रेलवे अपनी आवश्यकता बताकर मंत्रालय से मंजूरी दिलवाए तो जयपुर व बीकानेर से सीधा जुड़ाव हो जाएगा। सुजानगढ़, नीम का थाना नई रेल लाइन का निर्माण वाया सालासर सीकर जिसका सर्वे 2013-14 में होकर फाइल रेल मंत्रालय में वित्तीय स्वीकृति के अटकी हुई है। अगर ये परियोजना शुरू होगी तो जयपुर व नीम का थाना ,सीकर अलवर रींगस से सीधा जुड़ाव हो जाएगा। लाडनूं, डीडवाना, मोलासर कुचामन नावां फु लेरा सिटी के मध्य मिसिंग लिंक नई रेल लाइन का निर्माण ताकि डेगाना में जो इंजन रिवर्सल होता है। जयपुर इन शहरों से जाने के लिए उसकी जरुरत नहीं होगी, जिससे रेलवे का समय भी बचेगा और इन स्टेशनो का जयपुर व अजमेर से सीधा जुड़ाव हो जाएगा। डेगाना में बाई पास का निर्माण जो की अंतिम विकल्प है। जिससे डेगाना में जो इंजन रिवर्सल होता है। जयपुर इन शहरों से जाने के लिए उसकी जरुरत नहीं होगी। जिससे रेलवे का समय बचेगा और जयपुर व अजमेर से सीधा जुड़ाव हो जाएगा। इस संबंध में उत्तर-पश्चिम रेल बोर्ड के सदस्य अनिल कुमार खटेड़ ने मुख्य रेल प्रबंधक जयपुर को पत्र भी भेजा है।
रिपोर्ट दुबारा बनें तो परियोजनाओं पर काम हो
वर्तमान में जोधपुर डिवीजन ने इस बाईपास को ये कहकर अनुउपयोगी बताया की इन स्टेशनो से कोई ट्रैफिक नहीं है। अधिकारियों को सोचना चाहिए कि वर्तमान में जब इस रूट पर जयपुर या अजमेर के लिए कोई ट्रेन ही नहीं चलती है तो यात्री भार कैसे होगा। बिना तथ्यों की रिपोर्ट के आधार पर इसको अनुउपयोगी बताया है। इस पर पुनर्विचार करके इसका निर्माण कराया जाय ताकि इन सभी स्टेशनो व शहरों का जयपुर व अजमेर से सीधा जुड़ाव रेल के माध्यम से बिना इंजन रिवर्सल के हो सकता है।