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चुरू

Motivation- राजस्थानी भाषा का प्रयोग अधिक से अधिक करने के लिए प्रेरित करें

चूरू. लोक संस्कृति शोध संस्थान नगर श्री चूरू के सभागार में शुक्रवार शाम मायड़ भाषा दिवस का आयोजन किया गया। अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस मंगल व्यास भारती की अध्यक्षता में मनाया गया। प्रो. कमलसिंह कोठारी ने कहा कि हमें अपनी भाषा, संस्कृति व परिवेश के प्रति जागरुक बनकर परिवारों में इसकी वर्तमान पीढ़ी तक फैलाना जरूरी है।

चुरूFeb 22, 2020 / 11:57 am

Vijay

Motivation- राजस्थानी भाषा का प्रयोग अधिक से अधिक करने के लिए प्रेरित करें

Motivation- राजस्थानी भाषा का प्रयोग अधिक से अधिक करने के लिए प्रेरित करें

साहित्य जगत की हलचल
मिनख जूण मिलै तो लाडो मत आयजे इण देश
चूरू. लोक संस्कृति शोध संस्थान नगर श्री चूरू के सभागार में शुक्रवार शाम मायड़ भाषा दिवस का आयोजन किया गया। अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस मंगल व्यास भारती की अध्यक्षता में मनाया गया। प्रो. कमलसिंह कोठारी ने कहा कि हमें अपनी भाषा, संस्कृति व परिवेश के प्रति जागरुक बनकर परिवारों में इसकी वर्तमान पीढ़ी तक फैलाना जरूरी है। डॉ. बजरंग बगडिय़ा ने कहा कि हमें घरों में बच्चों को राजस्थानी भाषा का प्रयोग अधिक से अधिक करने के लिए प्रेरित करना होगा। झुंझुनूं की नीलम मुकेश वर्मा ने स्त्री विमर्श से जुड़ी राजस्थानी रचना में लड़कियों के साथ हो रहे निर्भया जैसे कांडों के प्रति अपना आक्रोश जताया। उन्होंने कविता मिनख जूण मिलै तो लाडो मत आयजे इण देश में…, सुनाकर खूब दाद पाई। राजेन्द्र शर्मा ‘मुसाफिरÓ ने म्हानै गरब गुमान… के माध्यम से राजस्थानी भाषा के मान्यता के लिए आह्वान किया। हरिसिंह ने कहा कि हमारी भाषा सर्वांग सम्पन्न है। डॉ. मोतीलाल ने भी राजस्थानी भाषा को शीघ्र मान्यता मिलने की संभावना जताई। रामसिंह बीका ने कन्हैयालाल सेठिया की प्रसिद्ध रचना पातल और पीथल सुनाकर समां बांधा। प्रो. कमलसिंह कोठारी ने अपनी कविता करदी गठित कमेटी मां…के माध्यम से मान्यता में हो रहे विलम्ब पर चिंता व्यक्त की। मंगलव्यास भारती ने अपनी कविता-माटी म्हारै देश री सुनाई।
राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने पर बढेंग़े रोजगार
न्यू राजस्थान पब्लिक स्कूल बिसाऊ में राजस्थानी भाषा दिवस मनाया गया। व्याख्याता कैलाशदान ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने पर राजस्थानियों के लिए रोजगार के अवसर बढेंग़े। निदेशक डा. प्रतापसिंह सिहाग ने कहा कि ८ करोड़ लोगों की मायड़ भाषा को संवैधानिक दर्जा नहीं दिया जाना शर्मनाक है। व्याख्याता प्रेम महला ने कहा कि मान्यता के बिना राज्य की कला, संस्कृति और संस्कार लुप्त होते जा रहे हैं। कमंाडर विजय गोठवाल ने कहा कि सभी प्रदेशों में पूरी शिक्षा अपनी स्थानीय भाषा में करने की व्यवस्था है लेकिन राजस्थान में प्राथमिक शिक्षा भी राजस्थानी में पूरी नहीं कर सकते। श्रीराम लाटा, हर्षा, किशोर जांगिड़ ने जमीनी तौर पर आंदोलन करने की जरूरत बताई। इस मौके पर अध्यापकों व विद्यार्थियों ने राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के लिए निरंतर प्रयास करने की शपथ ली।
गृहमंत्री को लिखा पत्र
सुजानगढ़. अन्तरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस पर मरूदेश संस्थान के अध्यक्ष डा. घनश्यामनाथ कच्छावा ने भारत सरकार के गृहमंत्री अमित शाह को पत्र भेजकर राजस्थान की मातृभाषा राजस्थानी को संवैधानिक मान्यता नहीं मिलने पर रोष जताया। पत्र में लिखा है इस भाषा का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन साहित्य भी विपुल मात्रा में उपलब्ध है। लोकगीत, संगीत, नाटक, नृत्य, कथा, कहानी आदि उपलब्ध हैं। भाषा को मान्यता नहीं मिलने से इसे राजस्थान के स्कूलों में नहीं पढ़ाया जाता, जिससे धीरे-धीरे इस भाषा के निज अस्तित्व को खतरा बढ़ रहा है।
अभिव्यक्ति के लिए सशक्त माध्यम
लाडनूं. जैन विश्वभारती संस्थान में विभागाध्यक्ष प्रो. बीएल जैन ने कहा कि मातृभाषा व्यक्ति के हृदय के अन्तरतम भावों की अभिव्यक्ति का सबसे सशक्त माध्यम होती है। डॉ. अमिता जैन ने कहा कि हमारे उद्वेगों, मनोभावों एवं विचारों की अभिव्यंजना केवल मातृभाषा में ही रख सकते हैं। छात्राध्यापिका मनीषा पंवार ने कहा कि मातृभाषा की उपेक्षा नुकसानदायक साबित होगी। सरिता ने मातृभाषा को महत्व देने की जरूरत पर बल दिया।

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