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चुरू

RTE: तो क्या इस लिए हर साल घट रही स्कूल में निशुल्क प्रवेश लेने वाले बच्चों की संख्या ?

RTE: किताबों की कीमतें हर वर्ष बढ़ती हैं, फिर भी सरकार पाठ्य पुस्तकों की कीमत 109 रुपए का भुगतान कर रही है।

चुरूDec 01, 2019 / 12:16 pm

Brijesh Singh

RTE: तो क्या इस लिए हर साल घट रही स्कूल में निशुल्क प्रवेश लेने वाले बच्चों की संख्या ?

RTE: तो क्या इस लिए हर साल घट रही स्कूल में निशुल्क प्रवेश लेने वाले बच्चों की संख्या ?

चूरू/सुजानगढ़. चूरू जिले सहित प्रदेश में जरूरतमंद बच्चों को निजी स्कूलों में निशुल्क शिक्षा देने के उद्देश्य से एक दशक पूर्व लागू किए गए शिक्षा के अधिकार ( RTE ) अधिनियम 2009 ( RTE Act 2009) का राज्य सरकार के फरमान गला घोटने का काम कर रहे हैं। आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों में 25 प्रतिशत सीटों पर निशुल्क प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों की फीस का पुनर्भरण सरकार से किया जाता है, लेकिन पिछले तीन साल में सरकार ने जिस प्रकार फीस में कमी की है, उससे शिक्षा के अधिकार को लेकर अब जिले के निजी विद्यालय उदासीन होने लगे हैं। यही कारण है कि अब निजी स्कूल ( private school ) संचालकों ने आरटीई को लेकर रुचि दिखाना कम कर दिया है, जिसके चलते निशुल्क ( Free eduction )पढऩे वाले बच्चों की संख्या साल दर साल घट रही है।

सरकार के आदेश समझ से परे
निजी स्कूल संचालको का कहना है कि हर वर्ष फीस एवं किताबों की कीमत बढ़ रही है, इसके बावजूद सरकार पछले तीन साल में यूनिट कॉस्ट के साथ किताबों की कॉस्ट घटा रही है। यह समझ से परे है। इसके साथ ही पहली से 8 वीं तक के बच्चों के लिए एक ही यूनिट कॉस्ट है, यानी जो पुनर्भरण राशि प्रथम कक्षा के विद्यार्थी के लिए किया जा रहा है, वहीं आठवी के विद्यार्थी के लिए किया जा रहा है।

क्या कहते हैं प्रभारी और अधिकारी
जिला प्रभारी स्कूल शिक्षा परिषद ( school siksha vibhag ) सुजानगढ़ मनोज मित्तल कहते हैं कि पिछले तीन-चार वर्ष से यूनिट कॉस्ट घटा कर सरकार उल्टी गंगा बहा रही है। यह निर्णय हास्यास्पद भी है। किताबों की कीमतें हर वर्ष बढ़ती हैं, फिर भी सरकार पाठ्य पुस्तकों की कीमत 109 रुपए का भुगतान कर रही है। इन सबके बावजूद भुगतान समय पर नहीं होता। सरकार ने समय रहते आरटीई एक्ट में फीस का सुधार नहीं किया तो निजी स्कूल अपने अधिकारों के लिए न्यायालय की शरण लेंगे। एडीपीसी ( ADPC ) आरटीई, चूरू सांवरमल का कहना है कि कुछ भुगतान बकाया चल रहा था, जो आ अब गया है। शीघ्र ही संबंधित स्कूलों को भुगतान कर दिया जाएगा। यूनिट कॉस्ट निकालना उच्च स्तर का निर्णय होता है।

स्कूल वालों की पीड़ा

डीएम पब्लिक स्कूल, सुजानगढ़ के यूसफ भाटी कहते हैं कि मेरे स्कूल को वर्ष 17-18 की एक, वर्ष 18 -19 की दो किश्तों का भुगतान अभी तक नहीं मिला है। सरकार भुगतान निरन्तर घटा भी रही है और उसका भी भुगतान समय पर नहीं करती है, यह उचित नहीं।

इस तरह से कम की पुनर्भरण फीस
गौरतलब है कि वर्ष 2011-12 में सरकार ने करीब 7 हजार रुपए प्रति छात्र फीस (यूनिट कॉस्ट) का भुगतान किया था, जिसे धीरे-धीरे वृद्धि करते हुए वर्ष 2015 में 17 हजार 58 2 रुपए कर दिया। इसके बाद सरकार ने वापस कमी करते हुए वर्ष 2017 में 14 हजार 919 रुपए, वर्ष 2018 में 13 हजार 754 रुपए तथा वर्ष 2019 में 13 हजार 536 रुपए कर दिया। इस बार स्कूल शिक्षा विभाग के शासन उप सचिव महेशकुमार ने आदेश जारी कर यूनिट कॉस्ट 10 हजार 579 रुपए कर दी है। इसका भी संशय बना हुआ है।

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