इस दौरान खेल रहे खिलाडिय़ों में भी आपस में झड़प हो गई। आयोजक अनेक खिलाडिय़ों सहित करीब पांच सौ मीटर दूर स्थित नेचर पार्क में भाग गए। यहां प्रतियोगिता में बिना खेले ही खिलाडिय़ों को सर्टिफिकेट व मेडल्स बांटे जाने लगे तो प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले खिलाड़ी आक्रोशित हो गए। मौके पर स्थिति तनावपूर्र्ण हो गई। खिलाडिय़ों को बांटने के लिए लाए गए सर्टिफिकेट व मेडल्स एक प्लास्टिक कट्टे में बंद थे। जिन्हें देखते ही मौजूद खिलाड़ी कट्टे को लेकर इधर-उधर भागने लगे। अंत में जिसके भी जिस तरह से सर्टिफिकेट व व मेडल्स हाथ आए, वे उन्हें लेकर बैग में डाल लिए। चूरू, हनुमानगढ़, झुंझुनूं सहित करीब पांच जिलों के खिलाड़ी प्रतियोगिता में पहुंचे थे।
प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए आए खिलाडिय़ों को आयोजक ने सपने दिखाए की यहां खेलने के बाद उनको सीधा राज्य स्तर पर खिलाया जाएगा। जबकि वास्तविकता यह है कि उक्त संस्थान को स्पोर्टस कांउसिल ऑफ राजस्थान से कोई मान्यता नहीं है। खेल विभाग के मुताबिक यूथ ओलम्पिक गेम्स एसोसिएशन फर्जी था।
उधर खेल विभाग ने सेना भर्ती कार्यालयों को इस खेल संघ की काली करतूतों के बारे में अवगत करा दिया गया है। सूत्रों से पता चला है कि इस खेल संघ के प्रमाणपत्र पर कइयों को सेना भर्ती में लाभ भी दिया गया है। अब उसकी भी जांच होगी।
आयोजकों ने मामले का खुलासा नहीं हो इसके लिए पुलिस लाइन जैसे सुरक्षित खेल ग्राउंड को चुना था। जबकि वहां कई खेलों के कोर्ट भी नहीं हैं। अपने काले खेल को छुपाने के लिए ही स्टेडियम में इसका आयोजन नहीं कराया। पुलिस ने उक्त आयोजक को किस आधार पर पुलिस लाइन का खेल मैदान दिया इसका भी खुलासा नहीं कर रही। हालांकि पुलिस का कहना है कि आयोजकों ने प्रतियोगिता के बदले कुछ राशि देने को कहा था लेकिन नहीं दिए और भाग गए।
खेल अधिकारी ने बताया कि खेल विभाग, शिक्षा विभाग व खेल विभाग में पंजीकृत एसोसिएशनों की ओर से कराए जाने वाले आयोजन ही मान्य हैं। इसके अलावा किसी भी खेल संघ की ओर से कराए जाने वाले खेल मान्य नहीं है।
खिलाड़ी बोले, सर्टीफिकेट की कोई मान्यता नहीं तारानगर से भाग लेने के लिए आए कुलदीप व अन्य ने बताया कि उसने प्रतियोगिता में कोई मैच नहीं खेला है। इसके बाद भी उसे सर्टिफिकेट दे दिया गया शनिवार सुबह तीन सौ रुपए इंटरफीस के रूप में लिए गए थे। अब पता चला है कि संस्थान के सर्टीफिकेट की कोई मान्यता नहीं है।