इतना ही नहीं, उन्होंने तकरीबन 12 घंटे तक मृत शरीर को यूं ही फंदे से लटका छोड़े रखा, जो उनकी घोर असंवेदनशीलता को दर्शाता है। राठौड़ ने राज्य सरकार से मांग की कि इस पूरे मामले की शीघ्रताशीघ्र न्यायिक जांच शुरू करवाई जाए। वे खुद जांच आयोग के समक्ष प्रस्तुत होकर तथ्यों को रखेंगे। इसके साथ ही राठौड़ ने पुलिसिया जांच को ही कटघरे में खड़ा करते हुए सवालों की बौछार कर दी।
परिवारवालों को क्यों नहीं बताया गया
राठौड़ ने कहा कि पुलिस सुबह साढ़े नौ बजे ही मौके पर पहुंच गई थी। आईजी और एसपी भी मौके पर पहुंच गए, उसके बाद भी परिवारवालों को इस अनहोनी के बारे में जानकारी नहीं दी गई। उन्होंने दिवंगत विष्णुदत्त के छोटे भाई संदीप की एफआईआर का हवाला देते हुए कहा, जिसमें उन्होंने लिखा है कि परिवार को करीब 11.30 बजे टीवी न्यूज से विष्णुदत्त के सुसाइड कर लेने की जानकारी मिली। राठौड़ ने सवाल किया कि आखिर परिवारवालों को बताने में पुलिस के आला अफसरों ने इतनी देर क्यों की?
मौके से कुछ छेड़छाड़ की भी आशंका
राठौड़ ने आशंका जताई कि घटनास्थल पर मौजूद साक्ष्यों आदि के साथ छेड़छाड़ की आशंका से भी इनकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि वहां सबसे पहले पुलिस अधिकारी ही पहुंचे, परिवारवाले और दूसरे लोगों को तो घंटों बाद पता चला।
सुसाईड नोट कितने पन्ने का…इस पर भी संशय
उपनेता प्रतिपक्ष के मुताबिक, शुरुआत में उन्हें बताया गया कि तीन पन्नों का सुसाइड नोट मिला है, लेकिन जब उनके हाथ आया, तो पन्ने दो ही थे। इसके साथ ही उन्होंने सुसाइड नोट में लिखी बातों की ओर भी ध्यान दिलाया।
अक्षम अफसरों की ओर इशारा
राठौड़ ने कहा कि उन्हें सूचना मिली है कि विष्णुदत्त ने कई बार रोजनामचा आम में भी ऐसी कई बातें दर्ज कीं, जिनसे राजनीतिक दबाव व कार्य में हस्तपेक्ष की ओर इशारा मिलता है। उन्होंने विष्णुदत्त और एक प्रतिष्ठित वकील के बीच हुई वाट्सअप चैट के स्क्रीन शॉट को भी जारी किया, जिसमें इंसपेक्टर विष्णुदत्त अफसर के ‘बहुत कमजोरÓ होने की बात कही थी।
उन्होंने आरोप लगाया कि एक ईमानदार अफसर की ओर से रोजनामचे में दर्ज ऐसे विवरण और वॉट्सअप चैट इस ओर इशारा करते हैं कि अब जिलों में नाकाम अफसरों की तैनाती हो रही है, जो अपराधिक-राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा बन रहे हैं। विष्णुदत्त ने उस गठजोड़ का साथ न देने का फैसला किया, जिसका खामियाजा उन्हें अपनी जान देकर भुगतना पड़ा। उन्होंने गृहमंत्रालय का प्रभार होने के नाते सीएम अशोक गहलोत को भी आड़े हाथों लिया और कहा कि इस घटनाक्रम से पुलिस के प्रशासनिक तंत्र का भी वीभत्स चेहरा जाहिर हुआ है।