Churu Lok Sabha Constituency Result: लोकसभा चुनाव को लेकर देशभर में बने और बन रहे माहौल जानने के लिए एक ओर चूरूवासी रुचि दिखा रहे हैं, तो दूसरी ओर प्रथम चरण के चूरू संसदीय क्षेत्र में हुए मतदान में युवाओं के रहे रुझान और उनकी ओर से किए मतदान के दिलचस्प आकड़ों पर लोग परिणामों पर इसके रहने वाले असर के अनुमान के साथ आपसी चर्चा में तह तक जाने का लोग प्रयास कर रहे हैं।
पिछले शुक्रवार को राज्य के 12 लोकसभा क्षेत्र में मतदान हुआ था तो 26 अप्रैल के शुक्रवार को ही राज्य की शेष 13 संसदीय क्षेत्रों में मतदान हुआ है। ऑल ओवर क्या स्थिति रहनेवाली पर सीकर संभाग के लोगों में एक चर्चा का विषय बना हुआ है तो यहां चूरू के चुनाव परिणाम को लेकर कयासों के दौर जारी है। चूरू संसदीय क्षेत्र में युवा मतदाताओं की बात करें तो उन्होंने कितना मतदान किया और वे किस ओर जा सकते हैँ को लेकर लोग आपसी विचार विमर्श कर रहे हैं।
किसके वोट होंगे निर्णायक बना चर्चा का विषय
चूरू संसदीय क्षेत्र में बीते सप्ताह पहले चरण के हुए मतदान में पहली बार मतदान करनेवाले युवाओं ने उत्साह के साथ वोट दिए और पहली बार मतदान करनेवाले सहित 25 साल तक के युवाओं की बात करें तो इनका मतदान के प्रति रुझान अच्छा रहा, लेकिन यह रुझान किस ओर रहा को लेकर इन दिनों यहां बहस छिड़ी हुई है। शुक्रवार को कुछ सार्वजनिक स्थलों के आसपास हजूम में बैंठे युवाओं को एक-दूसरे से यह कहते हुए भी सुना गया कि इस बार चुनाव परिणाम किस के पक्ष में जाने वाला है पर कोई सटीक निर्णय सामने नहीं आ रहा हैं। युवा आपस में एक दूसरे के मन की थाह लेने का प्रयास भी करते हैं तो अपने अपने बूथों पर हुई वोटिंग पर चर्चा करते हैं लेकिन वे परिणाम पर नहीं पहुंचते है तो कहते हैं यह भी है कि युवाओं के वोट जिसके पक्ष में अधिक पड़े हैं जीत उसी की होगी। तो एक युवती कहती है कि महिलाओं के वोट जिसके पक्ष में ज्यादा पड़े हैं, जीत उनकी होगी। तो युवक कहते हैं कि इसमें क्या है जिसके पक्ष में ज्यादा वोट पड़े हैं जीत तो उसकी की होगी तो नई बात क्या है। इस तरह की चर्चा के बीच युवा परिणाम आने के इंतजार पर अपनी बात पूरी कर निकल जाते हैं।
दो लाख से अधिक युवाओं ने किया मतदान
चूरू संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में पहली बार मतदान करनेवालें युवाओं की संया 42117 के करीब रही। जबकि 20-25 आयुवर्ग के 173247 युवाओं ने वोट दिए। इस तरह 25 वर्ष की आयु के लगभग 215364 युवाओं ने मतदान किया। इतनी बड़ी संया में युवाओं के वोट दिए जाने पर यहां न केवल युवाओं में बल्कि राजनीति के जानकारों में भी गुणा-भाग लगाया जा रहा हैं। विशेषकर इसलिए कि चुनाव लड़ने में एक भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए राहुल कस्वां दो बार के सांसद है और उनका राजनीतिक बैकराउंड है, जिन्होंने कांग्रेस से चुनाव लड़कर मुकाबले को कड़ा बना दिया है। दूसरी ओर खेल से राजनीति की पारी शुरू करनेवाले भाजपा के पैराओलपिक स्वर्ण पदक विजेता खिलाड़ी देवेन्द्र झाझड़िया हैं।
दोनों के बीच में मुकाबला कड़ा है। दोनों की जीत के प्रति आश्वस्त है, लेकिन जनता ने किसे सांसद चुना है यह अभी इवीएम बंद है। संगीन के साए में रखी इवीएम में बंद प्रत्याशियों के भविष्य का फैसला तो चार जून की मतगणना में ही होगा।