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चुरू

क्यों… नंदीशाला खोलने में रुचि नहीं दिखा रहे लोग

चूरू. जिले में बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के लिए मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुसार जिले सहित तहसील स्तर पर नंदी शालाएं खोली जानी प्रस्तावित थी। लेकिन इसके बावजूद केवल सरदारशहर व रतनगढ़ से ही गोशाला खोलने के आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा अन्य तहसीलों में किसी ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई है। राज्य सरकार की ओर से सुविधाएं देने के बाद भी नंदी शाला खोलने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है।

चुरूMay 26, 2022 / 01:21 pm

Vijay

क्यों... नंदीशाला खोलने में रुचि नहीं दिखा रहे लोग

क्यों… नंदीशाला खोलने में रुचि नहीं दिखा रहे लोग

नंदी शाला खोलने के लिए 1 करोड़ 57 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान
चूरू. जिले में बेसहारा पशुओं की समस्या से निजात दिलाने के लिए मुख्यमंत्री बजट घोषणा के अनुसार जिले सहित तहसील स्तर पर नंदी शालाएं खोली जानी प्रस्तावित थी। लेकिन इसके बावजूद केवल सरदारशहर व रतनगढ़ से ही गोशाला खोलने के आवेदन प्राप्त हुए हैं। इसके अलावा अन्य तहसीलों में किसी ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई है। राज्य सरकार की ओर से सुविधाएं देने के बाद भी नंदी शाला खोलने के लिए कोई आगे नहीं आ रहा है। जानकारी के मुताबिक राज्य सरकार की ओर से नंदी शाला खोलने के लिए 1 करोड़ 57 लाख रुपए दिए जाने का प्रावधान है। इसके लिए करीब 20 बीघा भूमि होना आवश्यक है। सरकार ने नियमों में सरलता देते हुए जमीन 20 वर्ष पर लीज होने या पंजीकृत किराया होने पर भी नंदी शाला खोली जा सकती है। इसमें न्यूनतम 250 गोवंशों को रखा जाएगा।
तहसील स्तर पर नंदीशालाएं खोलने को लेकर पूर्व में कलक्टर सिद्धार्थ सिहाग ने सुजानगढ़ में बैठक का आयोजन भी किया था। लेकिन इसके बावजूद भी केवल दो ही आवेदन प्राप्त हो पाए हैं। नंदी शाला स्थापित किए जाने के लिए समाज सेवी, पंचायती राज संस्था, ट्रस्ट व गोशाला इसके लिए पात्र हैं। अधिकारियों की माने तो बडे पशुओं के लिए 40 व छोटे के लिए 20 रुपए भरण पोषण के लिए देने का प्रावधान है।
बढ़ती जा रही बेसहारा पशुओं की संख्या
जानकारों की माने तो जिले सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आए दिन पशु किसी ने किसी को अपना शिकार बनाते हैं। समस्या से निजात दिलाने की मांग को लेकर कई बार धरने प्रदर्शन होने के बावजूद भी इसका समाधान नहीं हो पा रहा है। हालांकि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला पहुंचाया जाता है। लेकिन पकडे जाने के कुछ देर बाद गोशाला संचालकों की ओर से पशुओं को वापस छोड़ दिया जाता है। रात के समय बेसहारा पशु हादसों का कारण बन रहे हैं। रात के समय पशु झुंड बनाकर सड़क के बीच में बैठ जाते हैं। वाहन चालकों को दिखाई नहीं देने के कारण हादसा हो जाता है।

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