जानकारों की माने तो जिले सहित ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं की संख्या में लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है। आए दिन पशु किसी ने किसी को अपना शिकार बनाते हैं। समस्या से निजात दिलाने की मांग को लेकर कई बार धरने प्रदर्शन होने के बावजूद भी इसका समाधान नहीं हो पा रहा है। हालांकि शहरी व ग्रामीण क्षेत्रों में बेसहारा पशुओं को पकड़कर गोशाला पहुंचाया जाता है। लेकिन पकडे जाने के कुछ देर बाद गोशाला संचालकों की ओर से पशुओं को वापस छोड़ दिया जाता है। रात के समय बेसहारा पशु हादसों का कारण बन रहे हैं। रात के समय पशु झुंड बनाकर सड़क के बीच में बैठ जाते हैं। वाहन चालकों को दिखाई नहीं देने के कारण हादसा हो जाता है।