scriptपानी उतरे तो शुरु हो इको-टूरिज्म | Baralikadu Eco-Tourism remained closed due to the excessive water flow | Patrika News
कोयंबटूर

पानी उतरे तो शुरु हो इको-टूरिज्म

. पिल्लूर बांध से लगातार पानी की आवक व भवानी नदी के वेग पर होने का असर बारालीकाडु इको-टूरिज्म सेंटर पर पड़ा है। सेंटर करीब एक माह से बंद है । यहां सैलानियों को नौकायन व अन्य कार्य से आदिवासियों को रोजगार मिलता है। वे अब हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं।

कोयंबटूरSep 15, 2019 / 05:26 pm

Dilip

पानी उतरे तो शुरु हो इको-टूरिज्म

पानी उतरे तो शुरु हो इको-टूरिज्म

कोयम्बत्तूर. पिल्लूर बांध से लगातार पानी की आवक व भवानी नदी के वेग पर होने का असर बारालीकाडु इको-टूरिज्म सेंटर पर पड़ा है। सेंटर करीब एक माह से बंद है । यहां सैलानियों को नौकायन व अन्य कार्य से आदिवासियों को रोजगार मिलता है। वे अब हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं। बारालीकाडु मेट्टूपालयम के पास घने जंगल से घिरा हुआ है।
वन विभाग ने यहां स्थानीय आदिवासी समुदायों के साथ मिल कर इको-टूरिज्म परियोजना शुरु की थी।यह पिल्लूर बांध के समीप पहाडी़ पर आबाद आदिवासियों का गांव है। बांध के बैक वाटर गांव के पास है। यहीं पर आदिवासी सैलानियों को नौकायन कराते हैं। बैक वाटर जंगल के एक सिरे तक हैं। पानी और पेड़ों के बीच नौकायन का आनंद लेने दूसरे प्रदेशों से बी सैलानी आते हैं। इसके अलावा आदिवासी जन जीवन और संस्कृति को भी यहां देखा जा सकता है। यहां आने के लिए वन विभाग के कोयम्बत्तूर कार्यालय के अलावा आन लाइन बुकिंग भी की जाती है। वन विभाग व आदिवासियों के समन्वय से संचालित यह प्रोजेक्ट सफल माना जाता है।
सप्ताहांत के दौरान यहां बड़ी संख्या में सैलानी पिलूर बांध में प्रशिक्षित आदिवासियों की मदद से नौका विहार, करते हैं। जंगल में घूमते हैं।पहाड़ों पर खेतों के बीच पूरा दिन आदिवासियों के गांव में बिताते हैं। इस बीच पिछले एक महीने के दौरान पश्चिमी घाट इलाके मं हुई भारी बारिश के कारण पिल्लूर बांध में पानी का प्रवाह लगातार बढ़ रहा है और आस-पास के इलाकों में बाढ़ जैसे हालात है।
बरलीकाडू क्षेत्र भी जलमग्न है।जब तक पानी कम नहीं होगा। इसे सैलानियों के लिएसुरक्षित नहीं माना जा सकता। इसी वजह से एक माह से यह बंद है। इससे आदिवासियों की रोजी रोटी पर असर पड़ा है। सेन्टर के साथ पचास से अधिक आदिवासी जुड़े हुए हैं।

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