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कोयंबटूर

आसमान छू सकती हं लड़कियां

कलयअरसी एनसीसी कैडेट है। बीबीए फाइनल इयर की पढ़ाई के आलावा स्पोर्ट्स व खेल कूद में भी उसकी रुचि है। कलयअरसी अपने माता पिता के साथ पीलमेडू इलाके में रहती है।

कोयंबटूरJan 17, 2020 / 11:31 am

Rahul sharma

कलयअरसी एनसीसी कैडेट है। बीबीए फाइनल इयर की पढ़ाई के आलावा स्पोर्ट्स व खेल कूद में भी उसकी रुचि है। कलयअरसी अपने माता पिता के साथ पीलमेडू इलाके में रहती है।

कलयअरसी एनसीसी कैडेट है। बीबीए फाइनल इयर की पढ़ाई के आलावा स्पोर्ट्स व खेल कूद में भी उसकी रुचि है। कलयअरसी अपने माता पिता के साथ पीलमेडू इलाके में रहती है।

कोयम्बत्तूर. कलयअरसी एनसीसी कैडेट है। बीबीए फाइनल इयर की पढ़ाई के आलावा स्पोर्ट्स व खेल कूद में भी उसकी रुचि है। कलयअरसी अपने माता पिता के साथ पीलमेडू इलाके में रहती है। कलयरसी मानती है कि हम सबको इस समाज के लिए, देश के लिए अपने तरफ से कुछ ना कुछ देना ही है। कलयरसी ने, स्वच्छ भारत अभिज्ञान, एइड्स, एंटी तम्बाकू, एंटी ड्रग व कई अन्य सामाजिक समस्याओं के खिलाफ लोगों में जागरुकता फैलाने के लिए अभिज्ञान अयोजित कर उसमें कई सारे युवाओं को शामिल किया है।
यह है अचीवमेंट
कलयअरसी की जिंदगी में सबसे यादगार पल वह है जब उसे 1500 मीटर से पैरा ग्लाइडिंग करने का मौका मिला। इस दौरान उसे बैस्ट लैंडर आवार्ड में गोल्ड मेडल भी प्राप्त हुआ।
इस घटनाक्रम के बारे में बात करते हुए कलयरसी के आंखों से आंसू टपक पड़े। उसने कहा कि पैरा ग्लाइडिंग करते वक्त वह अपने आप को आसमान के ऊपर महसूस कर पाई और पक्षियों को अपने साथ उड़ते भी देख पाई।
तकनीक का
मिला फायदा
कलयअरसी कहती हैं सफलता में बहुत सारे लोगों का भी योगदान रहा है। खास कर तकनीक का। दिल्ली में रहने वाली एक सीनीयर एनसीस कैडक से मुझे काफी मदद मिलती है। देश के किसी और कोने में रहने वाली लड़की से बात करने और उनके •ारिए काफी सारी ज्ञान प्राप्त कर पाना मेरे लिए तकनीक के बिना मुमकिन नहीं था।
मेरे दोस्त व परिवार के बिना तो कुछ भी आसान नही था मेरे लिए। जब मैं शिविरों में जाया करती थी तब मेरे परिवार वालों ने काफी साथ दिया मेरा। अपने भविष्य के बारे में पूछने पर उसने बताया कि उसे फौज में भर्ती होना है और देश की सेवा करनी है।
इस तरह मिली प्रेरणा
जब भी मैं टीवी में या फिर अपने आसपास वर्दी में आए फौजीओं को देखती थी तो एहसास होता था कि फौज में शामिल होकर देश की सेवा करना चाहती है। स्कूल में दो साल एक एनसीसी कैडट के रूप में बिताए। कॉलेज में दाखिल होकर अपना पूरा ध्यान एनसीसी पर लगाया। एनसीसी में सक्रिय होने के कारण क्लास में जा नहीं पाई, एनसीसी के साथ पढ़ाई

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