सरकारी नौकरियों में तमिलों को मिले वरीयता
तमिल देसिया पेरियाक्कम (टीडीपी) ने आरोप लगाया है कि रेलवे, पोस्टऑफिस सहित केन्द्र सरकार के विभागों में भर्ती में तमिलनाडु के लोगों की लगातार अनदेखी की जा रही है। इस मुद्दे को लेकर टीडीपी ने तिरुचि के पोनलाई में विरोध प्रदर्शन किया।
कोयम्बत्तूर. तमिल देसिया पेरियाक्कम (टीडीपी) ने आरोप लगाया है कि रेलवे, पोस्टऑफिस सहित केन्द्र सरकार के विभागों में भर्ती में तमिलनाडु के लोगों की लगातार अनदेखी की जा रही है। इस मुद्दे को लेकर टीडीपी ने तिरुचि के पोनलाई में विरोध प्रदर्शन किया।टीडीपी नेता मनियारासन ने इसके लिए केन्द्र की भाजपा सरकार को जिम्मेदार बताया। उन्होंने बताया कि रेलने की पोनलाई रेलवे कार्यशाला में भर्ती के लिए १७६५ आवेदकों में से ३०० उत्तर भारतीयों को नियुक्ति मिली है। यहां कुल २६०० कर्मचारी है। इनमें २३०० तो उत्तर राज्यों के हैं। यही नहीं डाक विभाग में तो और भी बुरे हालात है। विभाग में ९० फीसदी कर्मचारी उत्तर भारतीय है। टीडीपी नेता ने कहा कि राज्य में सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों में केवल 10 प्रतिशत नौकरियां तमिलों को मिलती है। यह निराशाजनक है। न केवल रेलवे बल्कि पिछले पांच वर्षों से आयकर और पीएचएल जैसे अन्य केंद्र सरकार के विभागों में भी तमिलों की उपेक्षा की जा रही है। उनका आरोप है कि भाजपा सरकार तमिलनाडु में संस्कृत और हिंदी भाषा के प्रसार के लिए यह कर रही है। मनियारासन ने कहा कि सरकारी नौकरियों में मूल निवासियों को वरीयता दी जानी चाहिए। टीडीपी चाहती है कि इसके लिए कानून बनाया जाए।
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