तप और त्याग की प्रधानता
हमारा देश तप और त्याग प्रधान रहा है। यहां सम्राट सम्मान पा सकते हैं लेकिन पूजा त्यागियों व तपस्वियों की होती है।
कोयम्बत्तूर. हमारा देश तप और त्याग प्रधान रहा है। यहां सम्राट सम्मान पा सकते हैं लेकिन पूजा त्यागियों व तपस्वियों की होती है।
डॉ वरुण मुनि ने यह बात ओपनकारा स्ट्रीट स्थित जैन स्थानक भवन में तप अभिनंदन महोत्सव को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने कहा कि आज के भौतिकवादी युग में तप और साधना करना भी एक बड़ा कार्य है। इससे पहले उप प्रवर्तक पंकज मुनि के सान्निध्य में आयोजित महोत्सव में तपस्वी मीराबाई लूणिया का अभिनंदन किया गया। संघ अध्यक्ष घीसूलाल हिंगड़ ने अनुमोदना की जबकि मंत्री धनराज चौरडिय़ा ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया। पुनीत मुनि के मंगलाचरण से कार्यक्रम की शुरूआत हुई। रुपेश मुनि, लोकेश मुनि और महिला व बालिका मंडल के सदस्यों ने भक्ति गीत की प्रस्तुति दी। चातुर्मास कार्यक्रम के दौरान अगले माह कई धार्मिक आयोजन होंगे। इसकी तैयारियां भी चल रही है। प्रवचन के दौरान श्रावक श्राविकाओं का उत्साह देखते ही बनता है। आने वाले दिनों में भी इसी प्रकार बच्चों के लिए भी धर्म ज्ञान संबंधी कार्यक्रम होंगे।
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