यह बात जैन संत आचार्य विमल सागर सूरीश्वर महाराज ने राजस्थान पत्रिका से विशेष बातचीत में कही। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति का विज्ञान अलग है। भारतीय संस्कृति में मानवता के दर्शन होते हैं, जो दुनिया की अन्य किसी संस्कृति में देखने को नहीं मिलता है। भारत से हो रही प्रतिभा पलायन की बात पर आचार्य ने कहा कि नई पीढ़ी को लगता है कि अभी भारत में समूचित विकास संभव नहीं है। देश में जातिबाद, भाषावाद हावी है। उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले बिलगेट्स भारत आए हुए थे। उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा था कि आज मैं जो हूं वह भारतीयों की वजह से हूं। भारत की प्रतिभा की मांग पूरे विश्व में है। देश में राजनीतिक माहौल बनाना होगा ताकि युवा पीढ़ी को यहां पर रोजगार के अच्छे अवसर मिल सकें। देश से जाति आधारित आरक्षण खत्म कर आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए। राजनीति समाज को बांट रही है, धर्म-जाति के आधार पर देश को बांटा नहीं जा सकता है। संयुक्त परिवार, राजनीति, सुशासन और आर्थिक विकास एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। हर व्यक्ति को देश और कानून का सम्मान करना चाहिए। देश में शांति की स्थापना जरूरी है।