नई दिल्ली। साल 2007 से 2009 तक टीम इंडिया के फील्डिंग कोच रह चुके रॉबिन सिंह ने कहा कि किसी भी कोच को अपना सपोर्ट स्टाफ चुनने का अधिकार होना चाहिए। इस ऑलराउंडर खिलाड़ी ने कहा कि अगर मैं कोच होता, तो अपने सपोर्ट स्टाफ के रूप में मैं उन लोगों को चुनता, जिनके साथ मैं सहज महसूस करता।
रॉबिन सिंह ने कहा कि इसे मैं ऐसे कह सकता हूं कि जिन लोगों को मैं जानता हूं, मैं उनके साथ काम करना चाहता हूं। मैं उन लोगों के साथ काम नहीं करना चाहता, जिन्हें मैं नहीं जानता। यह एक ऐसा कम्फर्ट लेवल है, जो हर किसी को चाहिए होता है।
आप उन लोगों के साथ मिलकर बेहतर काम करते हैं, जिन्हें आप जानते समझते हों और जिनसे आपको लगता हो कि वे किसी योजना को कार्यकारी रूप दे सकते हैं। तमिलनाडु प्रीमियर लीग में कराइकुडी कलाइ टीम के हेड कोच नियुक्त होने के बाद रॉबिन सिंह पत्रकारों से बात कर रहे थे।
इस दौरान उन्होंने सपोर्ट स्टाफ पर अपने यह विचार रखे। इस 53 वर्षीय पूर्व ऑलराउंडर खिलाड़ी ने कहा, ‘इस तरह की अप्रोच सिर्फ क्रिकेट के क्षेत्र में ही नहीं देखी जाती। चाहे यह क्रिकेट हो या कोई कंपनी, आप इसे कहीं भी देख सकते हैं।
कोई भी सीईओ या मैनेजमेंट अपने ही लोगों को मौका देते हैं। मैं नहीं समझता कि इसमें कोई विवाद होना चाहिए।Ó बता दें कि सचिन तेंडुलकर, सौरभ गांगुली और वीवीएस लक्ष्मण वाली सीएसी ने टीम इंडिया के लिए हेड कोच चुनने के दौरान सहायक कोच के रूप में राहुल द्रविड़ और
जहीर खान को भी चुना था, जबकि शास्त्री भरत अरुण को बोलिंग कोच के रूप में चाहते थे। इसके बाद से यह मुद्दा सुर्खियों में छाया हुआ है।
जब रॉबिन से पूछा गया कि क्या बीसीसीआई ने कोच चुनते समय सही प्रक्रिया अपनाई थी, तो इस पर इस पूर्व खिलाड़ी ने कहा कि वह इस जवाब देने के लिए वह उपयुक्त व्यक्ति नहीं हैं। इसके अलावा रॉबिन सिंह ने विराट और कुंबले में आई तकरार पर भी कॉमेंट करने से इंकार कर दिया।
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