भारतीय टीम श्रीलंका में इंडियन आयल कप खेलने 2005 में गई थी ।इसी सीरीज से ग्रेग चैपल ने भारतीय टीम के कोच का पद संभाला था। स्लो ओवर रेट के कारण सौरव गांगुली पर चार मैचों का बैन लगा जिसके बाद टीम की कमान राहुल द्रविड़ को संभाल नहीं पड़ी और गांगुली की जगह टीम में सुरेश रैना और वेणुगोपाल राव को मौका मिला। सीरीज के खत्म होते हैं सौरव गांगुली के हाथ से सब कुछ निकल चुका था।
उस वक्त सौरव गांगुली का फॉर्म अच्छा नहीं चल रहा था| टेस्ट में पिछले 2 सालों में उनके बल्ले से एक भी शतक नहीं निकला था |इसके बाद कोच ग्रेग चैपल ने गांगुली को कप्तानी छोड़ बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करने को कहा था ,यह सुनने के बाद गांगुली पूरी तरह भड़क गए। उस समय के फॉर्म को देखकर चैपल ने कहा था अगर मेरा बस चले तो मैं गांगुली के जगह युवराज सिंह सुरेश रैना जैसे युवा बल्लेबाजों को मौका दूंगा। चैपल के इस बयान के बाद गांगुली ने जिंबाब्वे दौरा बीच में ही छोड़ने का मन बना लिया था लेकिन टीम मैनेजमेंट और द्रविड़ ने किसी तरह से गांगुली को मनाया था।
इसके बाद गांगुली को टीम से बाहर कर दिया गया था आगामी इंग्लैंड सीरीज और वेस्टइंडीज दौरे के लिए भी टीम में जगह नहीं मिली थी। साल 2006 में भारतीय टीम आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के लीग स्टेज से ही बाहर हो गई थी और साउथ अफ्रीका के खिलाफ वनडे सीरीज में उसे 4-0 से शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद हुए टेस्ट सीरीज में गांगुली की वापसी हुई और इसमें गांगुली ने 87 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद हुए श्रीलंका और वेस्टइंडीज के खिलाफ सीरीज में गांगुली ने लगभग 75 की औसत से रन बनाए। भारत का प्रदर्शन 2007 के वर्ल्ड कप में काफी निराशाजनक रहा था जिसका कारण ग्रेग चैपल और सौरव गांगुली के विवाद को ही माना जाता है। टीम इंडिया में एकजुटता का अभाव सीधा सीधा नजर आता था |हालांकि 2007 वर्ल्ड कप के बाद चैपल का करार खत्म हो गया। उनके पूरे कार्यकाल के दौरान भारतीय टीम हमेशा किसी न किसी विवाद से घिरा रहा।बाद में सौरव गांगुली ने कहा था ग्रेग चैपल का मकसद मेरे कैरियर को खत्म करने का था।