यह वास्तव में किसी भी क्रिकेटर के लिए अस्तित्व की पहचान से कम नहीं है, सभी बाधाओं को पार करके विराट कोहली का इस मुकाम तक पहुंचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। सर्किट में 100 टेस्ट मैचों तक चलने से एक क्रिकेटर को अपने आप एक उपलब्धि की पहचान मिल जाती है। विराट कोहली के 100वें टेस्ट मैच में उतरते ही इतिहास में उनका नाम दर्ज हो जाएगा।
विराट कोहली द्वारा प्राप्त किया जाने वाला ये मील का पत्थर और भी खास है। वह ना केवल एक ऐसे बल्लेबाज रहे हैं जिन्होंने 2011 में वेस्टइंडीज में टेस्ट क्रिकेट में डेब्यू करने के बाद से (50.39 की औसत बल्लेबाजी) उत्कृष्ट प्रदर्शन किया है। वह एक ऐसे कप्तान भी रहे हैं जिन्होंने (68 टेस्ट में 58.82 जीत प्रतिशत पर 40 जीत) दिया है। टेस्ट में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ कप्तान बनना और प्रारूप में 50 से अधिक का औसत बनाए रखना एक दुर्लभ कॉबिंनेशन है।
अगर भारतीय क्रिकेट के कुछ अन्य बड़े नाम जिन्होंने देश की कप्तानी करने के अलावा 100 टेस्ट खेले हैं उनमें भी कई दिग्गजों के नाम आते हैं। 100 टेस्ट खेलने वाले 11 अन्य भारतीय क्रिकेटरों में से सचिन तेंदुलकर (200), राहुल द्रविड़ (163), अनिल कुंबले (132), कपिल देव (131), सुनील गावस्कर (125), दिलीप वेंगसरकर (116), सौरव गांगुली (113) और वीरेंद्र सहवाग (103) का नाम शामिल है।
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