प्रधानमंत्री होता है पीसीबी का पैट्रन
पीसीबी के मौजूदा संविधान के अनुसार, देश का प्रधानमंत्री बोर्ड का पैट्रन होता है। इसके अलावा भी बोर्ड के संविधान में कई ऐसे अनुच्छेद हैं, जो सरकार को सीधे-सीधे हस्तक्षेप करने का अधिकार देते हैं। 2014 में पूर्व अध्यक्ष नजम सेठी के समय इस नए संविधान को मंजूरी मिली थी। सेठी से पहले पीसीबी अध्यक्ष जका अशरफ के रहते भी संविधान में कुछ बदलाव किए गए थे। इस बारे में तब अशरफ ने कहा था कि आईसीसी ने उनके नए संविधान को मान्यता दे दी है। लेकिन उनके बाद अध्यक्ष बने नजम सेठी ने पीसीबी संविधान में और बदलाव कर सरकार को दखल देने का अधिकार दे दिया था। जिम्बाब्वे पर आईसीसी की ओर से की गई कार्रवाई के आलोक में देखें तो पीसीबी को अगर प्रतिबंध से बचना है तो उसे उन अनुच्छेदों को संविधान से हटाना पड़ सकता है।
पीसीबी के संविधान में अनुच्छेद 45 के अनुसार, अगर सरकार चाहे या उसे लगे तो वह बोर्ड के संविधान में कुछ जोड़-घटा सकती है। वह चाहे तो संविधान में बदलाव कर सकती है, यहां तक कि बदल भी सकती है। एक और अनुच्छेद के अनुसार, पैट्रन समय-समय पर बोर्ड की जनरल पॉलिसी में निर्देश दे सकता है और बोर्ड को उन्हें लागू करने के लिए कह सकता है। इसके अलावा पैट्रन के पास पीसीबी अध्यक्ष से लेकर बोर्ड की सर्वोच्च परिषद ‘बोर्ड ऑफ गर्वनर्स’ को हटाने का अधिकार भी है। बोर्ड ऑफ गर्वनर्स के दो सदस्य को पैट्रन नामित करता है और उन्हीं में से कोई पीसीबी अध्यक्ष बनता है।
बीसीसीआई को लेकर आईसीसी ने अपनाया अलग रुख
वहीं यह भी बता दें कि आईसीसी ने भारतीय क्रिकेट बोर्ड को लेकर अलग रुख अपनाया था। 2013 में आईपीएल स्पॉट फिक्सिंग का मामला सामने आने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने जब बीसीसीआई का कामकाज देखने और उसके संविधान में बदलाव के लिए लोढ़ा समिति को अनुशंसा करने के लिए नियुक्त किया था, तब बोर्ड के तत्कालीन सचिव अजय शिर्के ने आईसीसी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) डेव रिचर्डसन से इस मामले में हस्तक्षेप करने की गुजारिश की थी। इस पर रिचडर्सन ने बीसीसीआई को कहा था कि वह न्यायालय के हस्तक्षेप को लेकर पहले आधिकारिक रूप से आईसीसी को लिखित शिकायत करे।
अजय शिर्के ने इसके बाद कहा था कि 2013 में बीसीसीआई के तत्कालीन अध्यक्ष शशांक मनोहर ने सर्वोच्च अदालत में एफिडेविट डाल कर यह कहा है कि इस मामले को लेकर बीसीसीआई को आईसीसी प्रतिबंधित कर सकता है। लेकिन वर्तमान में शशांक मनोहर ही आईसीसी के चैयरमेन हैं। इसके बावजूद उन्होंने बीसीसीआई के खिलाफ कोई कदम नहीं उठाया है।