बड़ौदा क्रिकेट संघ (बीसीए) के एक अधिकारी ने इस पूरे मामले पर बोलते हुए कहा था, ‘विष्णु के पास बेटी के निधन के बाद वापस नहीं लौटने का विकल्प था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया वो टीम के लिए खेलने वाले खिलाड़ी हैं। वह इतने गहरे दुख के बावजूद टीम को मझधार में नहीं छोड़ना चाहते थे। ये बात उन्हें विशेष बनाती है।’
विष्णु ने अपनी बेटी के निधन के बाद अपनी टीम के लिए जुझारू पारी खेली। 12 चौकों की मदद से मानसिक रूप से मजबूत इस बल्लेबाज ने 103 रन की पारी खेली। हालांकि, गौर करने वाली बात ये थी कि शतक लगाने के बाद विष्णु ने सेलिब्रेट नहीं किया और चुपचाप खेलते रहे।
बता दें कि विष्णु के पिता भी लंबे टाइम से बीमार चल रहे थे। विष्णु जिन्होंने बहुत कम समय में अपने पिता और बच्ची दोनों को खो दिया उनके लिए इस हालात में क्रिकेट खेल पाना आसान नहीं रहने वाला है। फिर भी ये बल्लेबाज बिना हार माने मैदान पर डंटा हुआ है।
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