बाबाओं पर नहीं यकीन करता था परिवार: रिश्तेदार मृतक की रिश्तेदार के मीडिया से बात करते हुए पुलिस की जांच और रिपोर्ट पर गंभीर सवाल उठाए हैं। महिला ने कहा कि उनका परिवार बाबाओं से बेहद चिढ़ता था। पूरा परिवार पढ़ा लिखा था, वे लोग किसी भी तरह की अंध विश्वास पर यकीन नहीं करते थे। ऐसे में पुलिस का ये दावा पूरी तरह झूठा है कि 11 लोगों की मौत अंधविश्वास की वजह से हुई है।
पूरे देश को दहला देने वाले इस मामले पर महिला ने कई ऐसे सवाल उठाए हैं कि जिसपर सोचने के लिए हर कोई मजबूर है।
– महिला ने कहा कि क्या कोई अपनी ही बुजुर्ग मां को मारता है?
– क्या कोई अपने ही परिवार को एकसाथ मारने की हिम्मत रख सकता है? – एक हंसता खेलता परिवार, जहां कुछ दिनों बाद शादी है, वो क्यों खुदकुशी करेगा? – दरवाजा खोलकर कोई ऐसे अपराध को अंजाम क्यों देगा?
नीचे देखिए महिला के रिश्तेदार का बयान एकसाथ मृत मिलें परिवार के 11 सदस्य बुराड़ी क्षेत्र के संतनगर में रविवार को संदिग्ध परिस्थितियों में एक परिवार के 11 सदस्य मृत पाए गए। इनमें से कुछ की आंखों पर पट्टियां बंधी थीं और हाथ पीछे बंधे हुए थे। वे फंदे पर लटके हुए थे। सबसे पहले एक पड़ोसी ने इन शवों को देखा। जब वह घर के अंदर घुसा तो उसने दो मंजिला घर के आंगन में चार पुरुषों और सात महिलाओं के शवों को देखा। मृतकों में तीन किशोर शामिल हैं। अधिकांश मृतकों की आखों पर पट्टी बंधी थी और हाथ पीछे बंधे हुए थे।
अंधविश्वास के चलते मौत की आशंका: पुलिस घटना स्थल पर पूजा की आलमारी के पास एक डायरी में मिले नोट से रहस्यवाद का संकेत मिलता है। इसमें अध्यामिकता, मोक्ष, रीति-रिवाज और पिछले महीने की कुछ तिथियों का जिक्र है। पूजा में इस्तेमाल घी और चावल जैसी सामग्री भी घर से बरामद हुई। पुलिस को संदेह है कि मौत के पीछे तांत्रिक या साधु की भूमिका हो सकती है। एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “हमें संदेह है कि परिवार के सदस्यों की मौत किसी अनुष्ठान के चलते हुई होगी।”
डायरी में मिली मौत की तैयारी पुलिस ने बताया कि नोट में कुछ निर्देशों का जिक्र है, जिसमें कहा गया है-प्रत्येक व्यक्ति को सही तरीके से आंखों पर पट्टी बांध लेनी चाहिए, आंखों में सिर्फ परम स्थान दिखाई दे। श्रद्धा के साथ सात दिनों तक लगातार बरगद के वृक्ष की पूजा करें। अगर कोई घर आए तो यह कार्य अगले दिन करें। इसके लिए गुरुवार या रविवार का दिन चुनें। आगे लिखा है, अगर बुजुर्ग महिला (नारायण देवी) खड़ी नहीं हो सकती हैं तो वह दूसरे कमरे में लेट सकती हैं। अनुष्ठान के लिए मद्धिम प्रकाश का उपयोग करें। रात 12 बजे से एक बजे के बीच अनुष्ठान करें, ताकि कोई तुम्हें बाधा न पहुंचाए। जब तुम सब उस दौरान फांसी पर लटक जाओगे तो भगवान अचानक प्रकट होंगे और उसी क्षण तुम्हें बचा लेंगे।
दो बार पूजा करता था परिवार: पड़ोसी पुलिस अधिकारी ने बताया कि परिवार ने मोक्ष प्राप्त करने के लिए तकरीबन हर निर्देश का पालन किया। उसमें यह भी बताया गया था कि परिवार का कोई सदस्य मोबाइल फोन का उपयोग नहीं करेगा। पड़ोसी विवेक कुमार ने बताया कि परिवार में पिछले कुछ सप्ताह से रोज सुबह-शाम दो घंटे अनुष्ठान चलता था।
फांसी पर लटके मिले ये 11 लोग मृतकों में नारायण देवी के दो बेटे भवनेश भाटिया (50) और ललित भाटिया (45) और दो बेटियां प्रतिभा (57) और पिछले महीने सगाई हुई प्रियंका (33) के अलावा भवनेश की पत्नी सविता (48) और उनकी तीन संतानें नीतू (25), मोनू (23), ध्रुव (15) और ललित की पत्नी टीना और उनका बेटा शिवम (15) शामिल हैं।