सीबीआई ने खत जारी कर की FIR की पुष्टि
सीबीआई की ओर से जारी खत में बताया गया है कि सतीश बाबू साना की शिकायत को आधार बनाकर 15 अक्टूबर,2018 को मुख्य आरोपी मानते हुए राकेश अस्थाना के खिलाफ आईपीसी की धारा 120B और धारा 7 समेत कई धाराओं के तहत भ्रष्टचार का मामला दर्ज किया जा रहा है। इसके अलावा देवेंद्र कुमार- डीएसपी,सीबीआई,एसआईटी, मनोज प्रसाद और सोमेश प्रसाद को सह आरोपी बनाया गया है। इसके साथ ही कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ भी आपराधिक मामला दर्ज हुआ है।
क्या है मामला?
आरोप है कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने मोईन कुरैशी का केस खारिज करने के एवज में रिश्वत ली है। बता दें कि गत वर्ष दिल्ली के मीट कारोबारी मोईन कुरैशी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 200 करोड़ रुपए के मनी-लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया। इसी मामले जांच का सामना कर रहे आरोपी सतीश साना ने कहा कि अस्थाना अपने पद का दुरुपयोग कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने मामले में क्लीनचिट दिलाने में कथित तौर पर मदद दी थी। एक रिपोर्ट के मुताबिक सना ने कहा था कि उनसे सीबीआई प्रमुख को दो करोड़ रुपए का घूस दिया है।
अस्थाना ने सीबीआई चीफ पर भी लगाए थे गंभीर आरोप
कुछ समय पहले सीबीआई में वरिष्ठता के क्रम में नंबर एक आलोक वर्मा के खिलाफ नंबर दो राकेश अस्थाना ने भी गंभीर आरोप लगाए थे। विशेष जांच अधिकारी के तौर पर किंगफिशर और अगस्ता वेस्टलैंड जैसे बड़े मामलों में सीबीआई टीम का नेतृत्व कर रहे अस्थाना ने आरोप लगाया कि वर्मा गैर-भरोसेमंद सबूतों के आधार पर जांच में हस्तक्षेप कर उसे प्रभावित करने या रोकने का प्रयास करते हैं। इस मामले में वर्मा ने कोई टिप्पणी करने से मना कर दिया पर उनके नजदीकी लोगों ने अस्थाना की शिकायतों को बेबुनियाद करार दिया। अस्थाना की शिकायतों में सबसे महत्त्वपूर्ण यह था कि सीबीआई निदेशक ने पिछले साल पटना में राजद सुप्रीमो लालू यादव के घर पर छापेमारी को अंतिम समय पर रोकना चाहा था। सीबीआई उस समय तक यादव के ठिकानों पर पहुंच चुकी थी। हालांकि, अस्थाना ने उनके दबाव को दरकिनार करते हुए छापेमारी जारी रखी। सीबीआई इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉरपोरेशन के ठेकों में गड़बड़ी की जांच कर रही है। अस्थाना की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए सीवीसी ने उन मामलों की जांच शुरू कर दी , जिनके आधार पर वर्मा की कार्य शैली पर सवाल उठाए गए थे। सीबीआई के विशेष निदेशक अस्थाना ने वर्मा के खिलाफ पहले सरकार को शिकायत भेजी थी। इकोनॉमिक टाइम्स में छपी खबर के अनुसार, काफी विचार-विमर्श के बाद सरकार ने इस मामले को सीवीसी को सौंप दिया।