पाकिस्तान में दहशत के साए में सिख समुदाय, पेशावर से देश के अन्य हिस्सों में पलायन क्या है मामला इस घोटाले में कई सरकारी विभागों की रकम सीधे विभागीय ख़ातों में न जाकर ‘सृजन महिला विकास सहयोग समिति’ नामक एनजीओ के ख़ातों में ट्रांसफर की जाती थी। उसके बाद इस एनजीओ के जरिये जिला प्रशासन और बैंक अधिकारियों के सहयोग से सरकारी धन की हेराफरी की जाती थी। मामला सामने आने के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के आदेश पर बिहार पुलिस के आर्थिक अपराध इकाई का विशेष जांच दल भागलपुर पहुंचा जहां से यह घोटाला शुरू हुआ था। बिहार पुलिस की इस टीम का नेतृत्व आईजी रैंक के पुलिस अधिकारी जे.एस. गंगवार के हाथ में था।
सबसे अनोखा घोटाला बताया जा रहा है कि इस घोटाले को अंजाम देने का ढंग ऐसा है जो अब तक कभी देखने सुनने में नहीं आया है। बैंक के फर्ज़ी ऑपरेटिंग सिस्टम के सॉफ़्टवेयर बनाकर पासबुक को अपडेट किया जाता था। यह स्टेटमेंट बिल्कुल वैसा ही होता था जैसा किसी सरकारी विभाग में धन की आवक और उसके खर्च के संबंध में होता था ।दीगर बात यह है कि घोटाले से जुडी इस राशि का ऑडिट भी करवाया जाता था। अगर किसी लाभार्थी को अगर कोई सरकारी चेक दिया जा रहा है तो उस चेक का भुगतान भी ज़रूर किया जाता था ।
भारत और अमरीका के बीच 6200 करोड़ की अपाचे डील फाइनल घोटाले का दायरा बढ़ने के बाद विपक्षी दलों ने बिहार सरकार पर हमले तेज कर दिए थे । अपने ऊपर बढ़ते दबाव के बीच राज्य सरकार ने 18 अगस्त 2017 को इसकी सीबीआई जांच कराने का फैसला किया। हालांकि सरकार के सीबीआई जांच कराने के फैसले से इस मुद्दे पर विपक्ष के पास कोई नया आरोप नही बचा लेकिन उनका यह घोटाला नीतीश कुमार की सुशासन वाली छवि पर एक धब्बा जरूर लगा गया।