डिजिटल लेन-देन सुविधाजनक तो है, लेकिन इसमें जोखिम भी कम नहीं है। थोड़ी भी असावधानी या लालच भारी पड़ सकता है। साइबर ठग आंख गड़ाए बैठे हैं। मौका मिलते ही हमारी मेहनत की कमाई पर वे हाथ साफ कर सकते हैं। आजकल पेटीएम कैशबैक नाम से धोखाधड़ी का तरीका अपनाया जा रहा है। शातिर दिमाग संदेश भेज कर पेटीएम स्क्रैच कार्ड जीतने की बधाई देते हैं। इसके बाद इसे क्लिक करने के लिए कहते हैं। क्लिक करने के बाद उनका खेल शुरू हो जाता है। खास यह कि पेटीएम-कैशऑफर.कॉम से पेटीएम का कोई लेना देना नहीं है। इसलिए स्क्रैच कार्ड या कैश बैक ऑफर से सावधान रहें। ईमेल या वॉट्सऐप पर मिले ऐसे संदेशों को नजरअंदाज करने में भलाई है। बैंक या डिजिटल भुगतान सेवा प्रदाता ऐसे संदेश नहीं भेजते। भारतीय रिजर्व बैंक और अन्य बैंक इस बारे में ग्राहकों को समय-समय पर सावधान करते रहते हैं।
क्यूआर कोड से ठगी : साइबर धोखाधड़ी पर नजर रखने वाली संस्था ट्रस्टचेकर के आंकड़े चौंकाने वाले है। बीते 15 महीनों में 25 प्रतिशत धोखाधड़ी केवाईसी और 20 फीसदी क्यूआर कोड के जरिए हुई है। पेटीएम का दावा है कि इसके पास बेहतरीन साइबर सिक्योरिटी है। कुछ गड़बड़ी की आशंका होने पर सिस्टम से ग्राहक को तुरंत इसकी सूचना मिलती है। साइबर सेल और बैंकों के साथ भी यह जानकारी साझा की जाती है।
ऐसे चल रहा गोरखधंधा-
पेटीएम-कैशऑफर पर क्लिक करते ही संदेश मिलता है कि यूजर को 2,647 रुपए कैशबैक मिला है। फिर कहा जाता है कि ये रिवार्ड पॉइंट अपने पेटीएम खाते में भेजें। सेंड बटन दबाते ही यूजर ओरिजिनल पेटीएम ऐप पर आ जाता है। इसके बाद यूजर से कहा जाता है कि उक्त रकम पे करें। इसके बाद ग्राहक के खाते से उक्त रकम ठगों के पास चली जाती है। निशाने पर वे लोग ज्यादा हैं, जिन्हें यूपीआई ऐप की कार्यप्रणाली के बारे में जानकारी नहीं है। यदि मोबाइल में यूपीआइ ऐप नहीं है तो उनकी ट्रिक काम नहीं करेगी। कैशबैक-ऑफर का लिंक केवल मोबाइल पर ही काम करता है।
क्यूआर कोड से सावधान –
यदि आप अपनी कोई चीज ऑनलाइन बेचना चाहते हैं तो पैसे मिलने के लालच में पे बटन कभी न दबाएं। धोखाधड़ी में लिप्त लोग यूजर को यह समझाने की भरसक कोशिश करते हैं कि जब तक आप पे बटन नहीं दबाएंगे, तब तक पैसे नहीं मिलेंगे। वॉट्सऐप पर क्यूआर कोड से मिले भुगतान को भी स्वीकार नहीं करना चाहिए।