बढ़ सकती हैं कैप्टन कूल एमएस धोनी की मुश्किल, आम्रपाली घोटाले में मुलजिम बनाने की मांग
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा में दर्ज कराई गई एफआईआर।
धोनी का इस्तेमाल लोगों को झांसे में लाने के लिए करने का आरोप।
27 नवंबर 2019 को दर्ज एफआईआर में इस बात का साफ जिक्र।
नई दिल्ली। टीम इंडिया कैप्टन कूल नाम से मशहूर महेंद्र सिंह धोनी की मुसीबत बढ़ती नजर आ रही है। आम्रपाली बिल्डर के खिलाफ दर्ज एफआईआर में शिकायतकर्ता ने अरबों रुपये के कथित घोटाले में धोनी का नाम बतौर मुलजिम दर्ज किए जाने की मांग की है। दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा 27 नवंबर, 2019 को दर्ज की गई एफआईआर में इसका साफ-साफ जिक्र है।
दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा के उच्च पदस्थ सूत्रों और एफआईआर में दर्ज मजमून के मुताबिक, “ग्राहकों को लुभावने सपने दिखाकर अरबों रुपये डकार जाने वाले आम्रपाली बिल्डर ने एमएस धोनी का भी खुलकर बेजा इस्तेमाल किया। उन्हें आम्रपाली ग्रुप का ब्रांड एंबेसडर सिर्फ इसलिए बनाया गया, ताकि लोग धोनी के नाम पर आसानी से झांसे में आकर अपने खून-पसीने की गाढ़ी कमाई इस प्रोजेक्ट में स्वाहा कर सकें।”
शिकायतकर्ता ने एफआईआर में साफ साफ लिखा है कि इस गोरखधंधे में आम्रपाली ग्रुप ने करीब 2 हजार 647 करोड़ रुपये अपने विभिन्न प्रोजेक्ट्स/टॉवर्स के नाम पर अनजान ग्राहकों से उगाहे। इसके बाद इतनी भारी-भरकम रकम को इधर-उधर लगा दिया, जबकि प्रोजेक्ट आज तक अधूरे पड़े हैं।
एफआईआर में दर्ज रूपेश कुमार के बयान के मुताबिक, “सुप्रीम कोर्ट ने भी इस बात को साफ कर दिया है कि आरोपियों ने इन प्रोजेक्ट्स को लांच ही, अनजान लोगों को गुमराह करके ठगने के लिए किया था। जैसा कि उन्हीं सब में से एक मैं खुद भी हूं।”
शिकायतकर्ता ने एफआईआर में दर्ज करवाया है कि अरबों रुपये की इस ठगी में बैंक, ग्रेटर नोएडा औद्योगिक विकास प्राधिकरण की भी मिलीभगत है। ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी ने 10 फीसदी प्रीमियम के बदले आम्रपाली को प्लॉट दे दिए। उसके बाद अथॉरिटी ने यह नहीं देखा कि बिल्डर ग्राहकों को कैसे ठग रहा है? बिल्डर ग्राहकों से रकम वसूलता रहा, मगर उसने अथॉरिटी में पैसा जमा ही नहीं किया। इसके बाद भी ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी कुछ नहीं बोली।