डॉ. हॉरर का अंतराष्ट्रीय नेटवर्क यूएस, यूके, ग्रीस, सऊदी अरब, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया सहित कई खाड़ी देशों में फैला है। गुडग़ांव किडनी रैकेट का खुलासा होते ही वह नेपाल भाग गया था, जहां उसे नेपाल पुलिस ने गिरफ्तार कर भारत को सौंप दिया था।
अमित राउत उर्फ संतोष ने किडनी का धंधा करने के लिए देश-विदेश का कोई कोना नहीं छोड़ा। दिल्ली, गुडगांव, नोएडा, जयपुर, अमृतसर, जालंधर, मेरठ, मुरादाबाद, कोलकता, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, तो पुलिस की जानकारी में हैं और अब किडनी गिरोह की जद में देहरादून भी आ गया है। दिल्ली, आंध्रप्रदेश, महाराष्ट्र में किडनी की खरीद-फरोख्त के मामले में अमित को तीन बार गिरफ्तार किया गया पर वह बेल पर छूट गया। गुडगांव में किडनी रैकेट चलाने के आरोप में मार्च 2013 को सीबीआई कोर्ट ने 7 साल कठोर कारावास की सजा सुनाई पर बाद में सबूतों के अभाव में वह छूट गया। एक बार तो डॉ. हॉरर 20 लाख की घूस देकर जेल से फरार हो चुका है।
गुडग़ांव किडनी कांड की सुर्खियों से बाहर होने के बाद जब लोग डॉक्टर हॉरर उर्फ अमित राउत को भूलने लगे तभी वह अचानक देहरादून के किडनी गैंग के साथ फिर चर्चा में आ गया है। एसएसपी देहरादून निवेदिता कुकरेती बताया कि अमित वही कुख्यात व्यक्ति है जो देश के लगभग हर किडनी स्कैंडल से जुड़ जाता है। इस बार अमित राउत उर्फ संतोष कुमार ने देहरादून को ठिकाना बनाया था। अमित राउत मूलत: शिर्डी, महाराष्ट्र का रहने वाला है।
पुलिस के मुताबिक डॉ. हॉरर के बारे में कहा जाता है कि उसे किडनी निकालने का नशा सा है। क्वालीफाइड सर्जन न होने के बावजूद उसने अब तक सैकड़ों किडनी निकाली और ट्रांसप्लांट की है। पूर्व में गिरफ्तारी के बाद दर्ज बयानों के मुताबिक अमित ने किडनी का कारोबार 1999 में शुरू किया। बाद में उसका भाई जीवन कुमार भी उससे जुड़ गया। जीवन देहरादून में भी वाटेंड है। इस बार अमित के बेटे असित का भी नाम सामने आया है। वह भी पिता के नक्शे कदम पर चल पड़ा है। उसके खिलाफ भी पुलिस ने लुकआउट नोटिस जारी की है। डॉ. अमित ने तीन शादियां की है, उसकी एक पत्नी कनाडा की निवासी है।
कमाल की बात है कि डॉ. हॉरर को देश के तमाम राज्यों की पुलिस ने गिरफ्तार किया पर वह हर बार बच निकलता। जेल से निकलते ही वह किडनी का धंधा शुरू कर देता। सीबीआई से लेकर दिल्ली पुलिस तक सबको चकमा दे चुका अमित हर बार नाम बदलकर नई जगह से काम करता था। वारदात अंजाम देने के बाद कनाडा, नेपाल, यूएस और खाड़ी के किसी देश में नया ठिकाना बना लेता है। मामला ठंडा पडऩे पर वह फिर भारत लौट आता है और गरीबों को कुछ रूपयों का लालच देकर उनकी किडनियां खरीदने और दुनियाभर के जरूरतमंद रईसों को बेचने लगता है। इस बार खरीददारों में ओमान के नागरिकों के होने की बात सामने आई है। दून में ऐसे ओमान के ऐसे चार नागरिक होटलों में रुके हैं। पुलिस उनकी भी जानकारी जुटा रही है।