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चिंताजनक : देश भर में फैला ड्रग माफिया का जाल, नार्कोटिक्स कानून के लचर उपायों से छूट रहे आरोपी

देश में काफी तेजी से फैल रहा है कि नशा ( Drugs Case ) का कारोबार
नशे के जाल में सबसे ज्यादा युवा पीढ़ी, गांज के केस सबसे ज्यादा

नई दिल्लीOct 05, 2020 / 05:41 pm

Kaushlendra Pathak

Drug mafia network spread across the country

ड्रग्स माफिया लचर कानून को लेकर लगातार छूट रहे हैं।

नई दिल्ली। अभिनेता सुशांत सिंह की मौत ( Sushant Singh Death Case ) से जुड़े ड्रग मामले ( Drug Racket ) में बॉलीवुड पर नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो ( NCB ) का शिकंजा कसता जा रहा है। चार बड़ी अभिनेत्रियों से पूछताछ के बाद कई सितारे एनसीबी के रडार पर हैं। नशेडिय़ों की डिमांड पूरी करने को ड्रग माफिया का जाल देश भर में फैला है। मादक पदार्थों की रोकथाम के लिए राज्यों में अलग पुलिस विभाग है। खास इसी काम के लिए केंद्र सरकार ने एनसीबी का गठन किया है। देश में हर साल अफीम, चरस, ब्राउन शुगर, गांजा, भांग आदि को मिला कर हजारों किलो ड्रग्स जब्त की जाती है। सैकड़ों आरोपी गिरफ्तार होते हैं मगर जांच एजेंसियों की कोताही से आरोपी छूट जाते हैं। इसे देखते हुए नार्कोटिक्स कानून के लचर उपायों पर सवाल उठाए जा रहे हैं। मध्य प्रदेश के पूर्व डीजीपी आरएलएस यादव का कहना है कि एनडीपीएस कानून व्यावाहारिक हो ताकि आरोपियों को सजा मिल सके। पंजाब पुलिस के रिटायर्ड अधिकारी राजिंदर सिंह का कहना है कि नशे के मामलों की सुनवाई फास्ट ट्रैक कोर्ट में होनी चाहिए। मुकदमा लंबे समय तक चलता है तो पैरवी में ढिलाई आ जाती है।
नशे के जाल में युवा पीढ़ी

देश के दुश्मन नशे के जाल में युवा पीढ़ी को कमजोर करने की कोशिश में हैं। पाकिस्तानी से सटे राज्यों पंजाब, राजस्थान, जम्मू एवं कश्मीर में बड़ी मात्रा में नशे की खेप बरामद हुई हैं। अफगानिस्तान में बैठे नशे के सौदागर भी भारत में ड्रग की सप्लाई करते हैं। अफगानिस्तान से भेजी गई हेरोइन की सबसे बड़ी खेप इसी साल मुंबई के जवारलाल नेहरू बंदरगाह में बरामद की गई। चीन, थाईलैंड और अफ्रीकी देशों से भी नशे की खेप आती है। बेंगलूरु और दिल्ली में भी बड़े ड्रग रैकेट का खुलासा हुआ है। दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करनेवाली अभिनेत्रियां भी गिरफ्तार हुई हैं।
गांजा के केस ज्यादा

कर्नाटक में सैंडलवुड ड्रग्स रैकेट का मामला गरमाया है। बेंगलुरु पुलिस करीब डेढ़ दर्जन लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इनमें दो अभिनेत्रियां-रागिनी द्विवेदी और संजना गलरानी शामिल हैं। एक पूर्व मंत्री के बेटे का नाम भी ड्रग्स केस में आया और उसके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी किया गया है। बेंगलुरू शहर में 2019 में ड्रग से जुड़े 768 मामले दर्ज हुए थे। इस साल 164 मामलों में 7 करोड़ के मादक पदार्थ जब्त किए गए , जिनमें अधिकांश केस गांजा से जुड़े हैं।
मुखबिरों को इनाम

समय पर ड्रग की खेप या पेडलर्स को पकड़वाने में मदद करने पर गुजरात पुलिस मुखबिरों को इनाम देने पर विचार कर रही है। गुजरात सरकार ने टोल फ्री नंबर शुरू किया है ताकि पुलिस को समय पर सूचना मिले और नशेडिय़ों व नशे की खेप पहुंचाने वाले लोगों की नकेल कसी जा सके।
व्यावहारिक कानून बनाएं

मध्य प्रदेश के पूर्व डीजीपी आरएलएस यादव ने कहा कि ड्रग की रोकथाम से जुड़े कानून को व्यावहारिक बनाना चाहिए। बिलासपुर के आईजी दीपांशु काबरा ने बताया कि एनडीपीएस मामलों की विवेचना जटिल होती है। इसके लिए काफी सतर्कता बरतनी पड़ती है। थोडी़-सी लापरवाही पर आरोपी को संदेह का लाभ मिल सकता है।
ड्रग की मात्रा के अनुसार सजा

छत्तीसगढ़ में एनडीपीएस मामलों के विशेष लोक अभियोजक विनोद भारत ने बताया कि ड्रग की तस्करी में सजा मादक पदार्थों की मात्रा के आधार पर तय होती है। इसलिए भी आरोपियों को सजा नहीं मिल पाती है। रायपुर के एसएसपी अजय यादव ने बताया कि पूरे देश में दवा लाइसेंस की आड़ में मेडिकल स्टोर्स पर नशीली दवा और सीरप की बिक्री हो रही है मगर आरोपियों का कुछ नहीं बिगड़ रहा।
सजा का प्रावधान

-कम मात्रा में ड्रग मिलने पर एक साल की जेल या 10 हजार रुपए जुर्माना हो सकता है।
-यदि ड्रग व्यापारिक मात्रा से कम बरामद हुई हो तो 10 साल तक सजा से और 1 लाख जुर्माना हो सकता है।
-ड्रग व्यापारिक मात्रा से ज्यादा जब्त होने पर आरोपी को 10 से 20 साल की सजा और 1 से 2 लाख रुपए जुर्माना हो सकता है।
एडवोकेट विनोद गंगवाल का कहना है कि एनडीपीएस एक्ट का मकसद नशीले पदार्थों की गैर-कानूनी खेती की रोकथाम, अवैध रूप से मादक पदार्थ बनाने, भंडारण, बिक्री, परिवहन या अन्य किसी जगह पर उपयोग व इस्तेमाल को प्रतिबंधित करना है। दोष साबित होने पर कम से कम 10 साल और अधिकतम 20 साल तक सजा हो सकती है। कम से कम एक लाख रुपए और अधिकतम 2 लाख रुपए जुर्माना हो सकता है। अधिकतर आरोपी ड्रग का सेवन करने वाले या उसे पहुंचाने ही वाले पकड़े जाते हैं, जो सजा से बच जाते हैं।
10 लाख करोड़ से ज्यादा का कारोबार

देश में ड्रग का सालाना कारोबार 10 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा का बताया जाता है। संयुक्त राष्ट्र की 2019 में रिपोर्ट में बताया गया है कि इंटरनेट पर ड्रग्स के ऑर्डर दिए जा रहे हैं। ड्रग की खरीद के लिए आभासी मुद्रा (क्रिप्टोकरेंसी) में भुगतान किया जाता है। मादक पदार्थों की रोकथाम से जुड़ी एजेंसियों के लिए यह बड़ी चुनौती हो सकती है।
सजा का अनुपात काफी कम

नशीले पदार्थों की जब्ती और गिरफ्तार आरोपियों की संख्या को देखें तो सजा का अनुपात काफी कम है। एनसीबी ने 2017 में 56 हजार से ज्यादा लोगों के खिलाफ मामले दर्ज किए। इनमें से 36 हजार 67 पर कार्रवाई की गई, जिनमें 27,949 को सजा हुई। इसी तरह 2013-2016 के बीच डेढ़ लाख से ज्यादा लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई, जिनमें 31,510 लोग दोषी पाए गए। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार 2018 में 49,450 मामलों में 60,156 लोग गिरफ्तार किए गए। अप्रेल 2018 से मार्च 2019 के बीच केवल 61 मामलों में आरोपियों को सजा हुई।
राजस्थान में एनसीबी नहीं तोड़ पाई चक्रव्यूह

नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो मादक पदार्थों की तस्करी में मुख्य गिरोह तक नहीं पहुंच पा रही है। इस कारण आज भी राज्य में बेखौफ मादक पदार्थ की बिक्री हो रही हैं। पड़ताल में सामने आया हैं कि एनसीबी की अभी तक की कार्रवाई में ड्राइवर, रिटेलर या कूरियर ही गिरफ्त में आ पाए हैं। लेकिन, एनसीबी असली और पूरी चेन तक नहीं पहुंच पा रही हैं। किसी मामले में गिरोह के सरगना का नाम का खुलासा हो भी जाता हैं तो अपने गुर्गों की गिरफ्तारी की सूचना मिलते ही वो या तो अंडरग्राउंड हो जाते हैं या फिर कुछ समय अपना तस्करी का काम बंद कर देते हैं।

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