गौरतलब है कि बचाव पक्ष के वकील अंकुर शर्मा ने मीडिया से बातचीत में गैंगरेप को लेकर पुलिसिया जांच पर सवालिया निशान लगाया और आपत्तिजनक टिप्पणी करते हुए कहा, ‘मामले की जांच का नेतृत्व महिला वकील कर रही हैं। यह मामला उनकी समझ से बाहर ही होगा। वह हाल ही में अफसर बनी हैं। मुझे लगता है कि उन्हें इस मामले में किसी ने गलत जानकारी दे दी है।’ यही नहीं वकील ने पुलिस अधिकारियों और नौकशाहों को कठपुतलियां बताते हुए कहा, ‘अगर महिला अफसर को जांच में इतनी ही मुश्किलें आई थीं तो उन्होंने इस बारे में वरिष्ठों को क्यों नहीं बताया। क्राइम ब्रांच ने जितने भी चश्मदीदों से पूछताछ की, उन सभी को पुलिस ने टॉर्चर किया। 40-50 लोगों ने क्राइम ब्रांच द्वारा टॉर्चर का शिकार होने की बात कबूली है।’
इसी साल 10 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के कठुआ स्थित हिना नगर के एक गांव में आठ साल की मासूम को अगवा किया गया था। बाद में आरोपियों ने बच्ची को नशीली दवाएं देकर उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया और फिर निर्मम तरीके से उसकी हत्या कर दी। यही नहीं इसके बाद मासूम के शव को झाड़ियों के पास फेंक दिया गया था। मामले में कुल आठ लोगों को आरोपी बनाया गया, जिनमें सरकारी कर्मचारी और पुलिसकर्मी भी शामिल हैं। इस मामले की जांच के लिए क्राइम ब्रांच की एक स्पेशल इनवेस्टिगेशन टीम बनाई गई, जिसमें श्वेतांबरी शर्मा इकलौती महिला अफसर थीं।