सुप्रीम कोर्ट से पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने भी कर्नल पुरोहित समेत अन्य की याचिका को कर दिया था। पुरोहित की याचिका में मांग की गई थी कि निचली अदालत को उन पर आरोप तय किए जाने से रोका जाए। इस पर हाईकोर्ट ने कहा था कि गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम के तहत आरोपों पर फैसला ट्रायल कोर्ट की ओर से ही लिया जाएगा। याचिका में कर्नल पुरोहित ने उनके ऊपर लगाए गए गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम (यूएपीए) को चुनौती दी थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल कर्नल पुरोहित को मालेगांव ब्लास्ट मामले में जमानत दी थी। वो पिछले नौ सालों से जेल में थे। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ जमानत दी थी। पुरोहित ने सर्वोच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी कि उन्हें इस मामले में साजिशन फंसाया गया है। पुरोहित का आरोप था कि एटीएस उन्हें फंसाना चाहती है। वहीं, एनआईए और सरकार की ओर से पेश वकीलों ने कर्नल पुरोहित को मामले का मुख्य आरोपी बताते हुए जमानत न दिए जाने की मांग की थी।
मालूम हो कि इसी मामले में आरोपी साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 25 अप्रैल 2017 को जमानत दे दी थी। हाईकोर्ट ने प्रज्ञा के ऊपर लगाई गई मकोका को भी हटा दिया था। प्रज्ञा को सात साल तक जेल में रहने के बाद जमानत मिली थी। हाईकोर्ट ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को 5 लाख रुपए की जमानत राशि जमा करने को कहा था। साथ ही साध्वी को अपना पासपोर्ट एनआईए के पास जमा करने के लिए भी कहा गया था।