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हर माह लाखों खर्च करने के बाद भी उद्यानों की नहीं लौटी हरियाली

हर माह लाखों खर्च करने के बाद भी उद्यानों की नहीं लौटी हरियाली

Nov 04, 2018 / 04:05 pm

harinath dwivedi

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हर माह लाखों खर्च करने के बाद भी उद्यानों की नहीं लौटी हरियाली

मंदसौर.
शहर के उद्यान इन दिनों देखरेख के अभाव में विरान हो रहे है। हर माह उद्यानों पर संसाधन से लेकर इनमें लगे कर्मचारी के साथ नपा उद्यानों के नाम पर लाखों रुपए फुंक रही है, बावजूद इनमें हरियाली नहीं आ रही है। कई जगह तो हालात यह है कि नपा पौधें तक नहीं लगवा पा रही है। फूल व फल से लेकर छायादार पेड़-पौधों की जगह गाजरघास व कटीलें झाडिय़ां तो कही पड़ा कचरे का ढेर तो उद्यानों में लगाए जाने वाले बच्चों के मनोरंजन के उपकरण से लेकर बैठने के लिए लगाई गई कुर्सियां भी क्षतिग्रस्त है। इन उद्यानों में बैठना और घुमने के लिए आना तो ठीक कोई यहां खड़ा भी नहीं रहता। फव्वारों से लेकर आमलोगों को आकर्षित करने के लिए बनाई गई डिवाजईन व अन्य उपकरण यहां लोगों को आकर्षित करने के बजाए विरान होकर क्षतिग्रस्त हो गए है। यह सब हालात है नपा द्वारा शहरीय क्षेत्र में विकसित किए गए उद्यानों की। चुनिंदा जगहों को छोड़ दो तो बाकी सब जगह हालात एक से है।


पुरानों पर ध्यान नहीं, और बना रहे नए
शहर में विभिन्न कॉलोनियों से लेकर आवासीय क्षेत्रों में बने हुए उद्यानों पर तो नपा का ध्यान नहीं है, लेकिन नपा धड़ल्ले से अन्य जगहों पर बाउंड्रीवॉल के साथ उद्यान बनाने का काम कर रही है। उद्यानों के नामों पर नपा ने पूरे शहर में बाउंड्रीवॉल व उनमें चुनिंदा पौधें लगाने का काम कर रखा है, लेकिन पहले से बने इन उद्यानों को संवारने का काम नपा नहीं कर पा रही है।


5 हजार का था लक्ष्य3 हजार भी नहीं लग पाए
जानकारी के अनुसार इस बार नपा ने शहर में 5 हजार पौधें लगाने का लक्ष्य रखा था, लेकिन बारिश बीतने के बाद भी इतना समय बीत गया। अब तक 3 हजार के करीब ही पौधें मुश्किल से लग पाए है। शहर में हरियाली लाने और स्वच्छता के नपा के तमाम दावें यहीं पर खोखले साबित हो रहे है।


कहने को 100 उद्यान, विकसित मात्र 25
कहने को तो पूरे शहर में उद्यानों की संख्या 100 है, लेकिन इनमें से विकसित मात्र 25 है। जहां पौधों के साथ हरियाली दिख रही है। इसके अलावा 25 अविकसित है तो 50 वीरान पड़े है। विरान और अविकसित उद्यानों में सिर्फ बाउंड्रीवॉल और अंदर लगे पेवर दिखाई देते है। इसके अलावा यहां गंदगी, कचरा और गाजरघास के साथ क्षतिग्रस्त कुर्सियों के साथ उपकरण दिखते है। जिनके पास कभी कोई नहीं आता है। ऐसे हालातों को सुधारने के लिए नपा ने इन उद्यानों की कभी सुध ही नहीं ली है।


कागजों में चल रहा नाम, असल में ड्युटी कही ओर
नपा में उद्यान शाखा में करीब ५० कर्मचारी है, लेकिन असल में उद्यानों में काम करने वाले मात्र ३५ से ४० के बीच ही कर्मचारी है। बाकी कर्मचारी की ड्युटी कागजों में भले ही नपा के कागजों में चल रही है, लेकिन असल में इनकी ड्युटी नेताओं से लेकर अधिकारियों के यहां चल रही है। ऐसे में जितने उद्यान है, उनके मान से कर्मचारियों की संख्या बहुत कम है। उद्यानों व डिवाईडरों में लगे पौधों को पानी देने के लिए इस शाखा के पास अलग से टैंकर तक नहीं। उन्हें टैंकर के लिए आश्रित रहना पड़ता है। इसके अलावा संसाधनों का अभी अभाव है।


फेक्ट फाईल
नगरीय क्षेत्र में उद्यानों की संख्या- करीब 100
वीरान पड़े है- करीब 50
विकसित उद्यान- करीब 25
अविकसित उद्यान-करीब 25
उद्यान शाखा में कर्मचारियों की संख्या- 50 से अधिक
उद्यानों में काम कर रहे कर्मचारी- 35 से 40
बाकी- नेताओं से लेकर अधिकारी के यहां दे रहे ड्युटी
नपा के बजट में उद्यान के लिए रहता है मद- करीब 2 से 3 लाख रुपए
संसाधन- पौघों को पानी देने के लिए उद्यान शाखा के पास अलग से एक भी टैंकर नहीं
इस साल लगाने थे पौधें- 5 हजार का लिया था लक्ष्य, अब तक 3 हजार भी नहीं लगा पाए

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