निर्भया केस में आया नया मोड़, मुकेश की पूर्व वकील पर आपराधिक साजिश के आरोप की याचिका दर्ज
पूर्व वकील वृंदा ग्रोवर के खिलाफ आपराधिक साजिश का आरोप।
पटियाला हाउस कोर्ट 20 मार्च का डेथ वारंट कर चुका है जारी।
अगले चार-पांच दिनों में मामले पर सुनवाई होने की है संभावना।
निर्भया कांड के दोषियों को अब यह जल्लाद लटकाएगा फांसी पर
नई दिल्ली। निर्भया गैंगरेप-मर्डर केस में एक नया मोड़ आ गया है। मामले के चार में से एक दोषी मुकेश सिंह के मौजूदा वकील ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। इतना ही नहीं मौजूदा वकील ने इस मामले में दोषी के पूर्व वकील के खिलाफ ही याचिका दायर की है।
याचिका में कहा गया है कि कानून के मुताबिक वह (वकील वृंदा ग्रोवर) क्यूरेटिव पेटिशन दाखिल करने के लिए तीन वर्ष तक का इंतजार कर सकती थीं लेकिन उन्होंने जानबूझकर यह क्यूरेटिव पेटिशन जल्दी दायर कर दी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि याचिका खारिज हो जाए और मुकेश को फांसी लगा दी जाए।
शुक्रवार को दाखिल याचिका पर अगले चार से पांच दिन में सुनवाई होने की संभावना है। निर्भया केस में यह ताजा घटनाक्रम बृहस्पतिवार को पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा जारी नए डेथ वारंट के बाद आया है। गुरुवार को अदालत ने इस मामले के चारों दोषियों पवन गुप्ता, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और मुकेश सिंह को 20 मार्च को सुबह 5.30 बजे फांसी देने का आदेश दिया था।
दरअसल निर्भया गैंगरेप केस में बुधवार को राष्ट्रपति ने चार में से एक दोषी पवन कुमार गुप्ता की दया याचिका खारिज कर दी थी। इसके बाद दिल्ली सरकार पटियाला हाउस कोर्ट पहुंच गई, जहां पर बृहस्पतिवार को मामले की सुनवाई हुई।
इस मामले में तिहाड़ जेल प्रशासन ने पटियाला हाउस कोर्ट को लिखित अर्जी देकर बताया कि राष्ट्रपति ने पवन गुप्ता की अर्जी खारिज कर दी है, जिसके बाद बीते 2 मार्च को डेथ वारंट पर लगाए गए स्टे की कोई जरूरत नहीं है। इसलिए अपील की जाती है कि चारों दोषियों के लिए नया डेथ वारंट जारी किया जाए।
इससे पहले सोमवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया केस के चारों दोषियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश की मंगलवार 3 मार्च सुबह 6 बजे होने वाली फांसी पर रोक लगा दी थी।
अदालत ने यह फैसला दोषी पवन कुमार गुप्ता के वकील एपी सिंह द्वारा दाखिल की गई अर्जी के बाद सुनाया था। एपी सिंह ने सोमवार दोपहर पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा डेथ वारंट को बरकरार रखे जाने के आदेश के बाद याचिका दाखिल की थी, कि जब दोषी की दया याचिका फिलहाल राष्ट्रपति के पास गई है तो कैसे फांसी दी जा सकती है। अदालत ने बाद में मामले की सुनवाई करते हुए फांसी देने के अपने आदेश पर रोक लगा दी।