निर्भया के दोषियों को फांसी से पहले आपको बता दें कि तीन दोषियों को अलग अलग सेल में रखा गया है, उसके आस पास के सेल को खाली करा दिया गया है।
तिहाड़ जेल में कैद निर्भया के दोषियों को फांसी देने से पहले विशेष तौर का परिधान पहनाया गया है। इस परिधान का रंग लाल है।
पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी देने हमें वहां पर बुलाया जाता है उसके बाद हमारे साथ मीटिंग की जाती है कि कैसे कैदी के पैर बांधने होते हैं कैसी रस्सी बांधनी होती है।
फांसी घर से दूरी के आधार पर फांसी के तय समय से पहले दोषियों को लाना शुरू किया जाता है।
फांसी देते समय 4 से पांच सिपाही वहां पर मौजूद होते हैं वह कैदी को फांसी के तख्ते पर खड़े करते हैं। इसके एक दिन पहले जेल अधीक्षक और डिप्टी जेलर के साथ जल्लाद की मीटिंग होती है।
फांसी देते वक्त कोई किसी से बात नहीं करता। सिर्फ इशारों में ही प्रक्रिया चलती है। दरअसल इसकी वजह यह है कि वहां पर कैदी को कोई डिस्टर्ब न हो या फिर वहां पर कैदी कोई ड्रामा न खड़ा कर दें। फांसी देने में 10 से 15 मिनट का समय लगता है। कैदी के हाथ पैर दोनों उस दौरान बांध दिए जाते हैं और उनके उनके सर पर टोपा डाल दिया जाता है।
कैदी को खड़े करने के स्थान पर गोल निशान बनाया जाता है, जिसके अंदर कैदी के पैर होते हैं। इसके बाद जैसे ही जेल अधीक्षक रुमाल से इशारा करता है हमलोग लीवर खींच देते हैं।
हार्ट बीट चेक करने के बाद डॉक्टर्स के इशारे के मुताबिक उन्हें उतार दिया जाता है। उसके बाद उसे चादर से ढक दिया जाता है। उसके बाद जल्लाद फंदा और रस्सी एक तरफ रख देते हैं।