इन छह कर्मियों की पहचान सहायक उप-निरीक्षक अश्विनी, हेड कांस्टेबल राजेश और कांस्टेबल संजय, कृष्ण, योगिंदर और पदम के रूप में हुई है। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी से मिली जानकारी के मुताबिक यह सभी दिल्ली सशस्त्र पुलिस की तीसरी बटालियन में तैनात थे। इनको दिल्ली की जेलों और दिल्ली से बाहर की अदालतों या अस्पतालों व अन्य स्थानों के बीच विचाराधीन कैदियों को ले जाने-लाने का काम सौंपा गया था।
यह सारा मामला प्रकाश में तब आया जब उस दुकानदार ने यह पूरी बात अपने एक मीडियाकर्मी दोस्त को बता दी और उसने यह सारी घटना कैमरे में कैद हो गई। इसके बाद इन सभी छह पुलिसवालों को निलंबित कर दिया गया।