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आपको बता दें कि आए दिन लोग फेसबुक या फिर वॉट्सअप जैसे सोशल साइट्स पर अपने मनमर्जी की चीजें अपलोड कर देते हैं। कई बार उनकी इस मनमर्जी से लोगों की भावनाएं आहत होती है साथ ही समाज के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे ही एक केस में मंगलवार को कड़ा रुख अपनाते हुए न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने फेसबुक पर पोस्ट डालने वाले चंद्र शेखर कारगेती पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया और इस संबंध में दायर प्राथमिकी के आधार पर पूर्व में अदालत में चल रही सुनवाई पर दिया गया स्थगनादेश भी हटा दिया।
आपको बता दें कि आए दिन लोग फेसबुक या फिर वॉट्सअप जैसे सोशल साइट्स पर अपने मनमर्जी की चीजें अपलोड कर देते हैं। कई बार उनकी इस मनमर्जी से लोगों की भावनाएं आहत होती है साथ ही समाज के लिए भी खतरनाक साबित हो सकती है। ऐसे ही एक केस में मंगलवार को कड़ा रुख अपनाते हुए न्यायमूर्ति लोकपाल सिंह की एकलपीठ ने फेसबुक पर पोस्ट डालने वाले चंद्र शेखर कारगेती पर दो लाख रुपये का जुर्माना लगाया और इस संबंध में दायर प्राथमिकी के आधार पर पूर्व में अदालत में चल रही सुनवाई पर दिया गया स्थगनादेश भी हटा दिया।
एक शख्स को बदनाम करने के लिए किया पोस्ट
इस केस पर गौर करें तो हाई कोर्ट ने उस आरोप को सही पाया जो कारगेती पर लगाया गया था। दरअसल कारगेती ने नौटियाल को बदनाम करने के लिए फेसबुक पर उनके खिलाफ आपत्तिजनक एक पोस्ट डाल दी थी। नौटियाल एक सामाजिक कल्याण विभाग में उच्च पद पर आसीन भी हैं। पोस्ट की जानकारी लगते ही नौटियाल ने कारगेती के लिए खिलाफ एफआइआर दर्ज करवाई।
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मानसिक रूप से हो रहा प्रताड़ित
नौटियाल ने अपनी प्रथामिकी में कारगेती पर कई आरोप लगाए हैं। नौटियाल से साफ लिखा है कि कारगेती उनके खिलाफ झूठे, आधारहीन और गलत आरोपों वाली पोस्ट कर रहे हैं। इससे ऐसा लगता है कि वह भ्रष्ट अधिकारी हों। यही नहीं नौटियाल ने ये भी कहा कि इन पोस्ट की वजह से वे मानसिक रूप से काफी प्रताड़ित हो रहे हैं और उन्हें अपने आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में भी दिक्कतें आ रही हैं।
मानसिक रूप से हो रहा प्रताड़ित
नौटियाल ने अपनी प्रथामिकी में कारगेती पर कई आरोप लगाए हैं। नौटियाल से साफ लिखा है कि कारगेती उनके खिलाफ झूठे, आधारहीन और गलत आरोपों वाली पोस्ट कर रहे हैं। इससे ऐसा लगता है कि वह भ्रष्ट अधिकारी हों। यही नहीं नौटियाल ने ये भी कहा कि इन पोस्ट की वजह से वे मानसिक रूप से काफी प्रताड़ित हो रहे हैं और उन्हें अपने आधिकारिक कर्तव्यों के निर्वहन में भी दिक्कतें आ रही हैं।