बता दें कि 29 सितंबर 2008 को मालेगांव के बाजार में बम ब्लास्ट हुआ था जिसमें 7 लोग मारे गए थे। वहीं कई लोग घायल हुए थे। यह विस्फोट शुक्रवार की नमाज के बाद मस्जिद के बाहर मोटरसाइकिल में हुआ था। जिसके बाद महाराष्ट्र की एटीएस (आतंकवाद विरोधी दस्ते) ने मोटरसाइकिल की मदद से उसके मालिक की तलाश की थी। जिसके बाद 2008 में 24 अक्टूबर को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिव नारायण गोपाल सिंह कालसागर, और श्याम भंवरलाल साहू को गिरफ्तार किया गया था। जांच में राष्ट्रीय जागरण मंच, शारदा सर्वज्ञ पीठ, हिंदू राष्ट्र सेना और अभिनव भारत जैसे संगठनों का नाम आया था। जिसके बाद इन संगठनों से जुड़े कई लोगों को गिरफ्तार किया गया था। 4 नंवबर 2008 को एटीएस ने कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को गिरफ्तार किया था।
महाराष्ट्र एटीएस की ओर से पहली चार्जशीट 20 जनवरी 2009 को सौपीं गई थी। शुरुआत में अभियुक्तों पर मकोका लगाया था। जबकि 2009 में ट्रायल कोर्ट ने अभियुक्तों पर मकोका के चार्जेस हटा हिए थे। 21 अप्रैल 2011 को एटीएस द्वारा दाखिल की गई दूसरी चार्जशीट में एटीएस ने कुछ और लोगों को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद अभियुक्तों की कुल संख्या 16 हो गई थी। 2010 में बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले को फिर मकोका के अंडर लिया। लेकिन 15 अप्रैल 2015 को सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा लगाए गए सभी मकोका चार्जेस को हटा दिया था। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने तर्क दिया था कि हमारे पास इन अभियुक्तों के खिलाफ किसी पिछले केस में कोई सबूत नहीं हैं।
2016 में एनआईए ने अपनी जांच में साध्वी प्रज्ञा और पांच लोगों के खिलाफ लगे चार्ज हटा लिए थे। अपनी जांच में एनआईए ने कहा था कि इन लोगों को खिलाफ उन्हें कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं। साध्वी प्रज्ञा के अलावा लोकेश शर्मा और धान सिंग को भी पुख्ता सबूत न होने के कारण उनका नाम चार्जशीट से हटा लिया गया था। कर्नल पुरोहित को जमानत मिलने के बाद 14 अभियुक्तों में से 7 को जमानत दी जा चुकी है। इनमें साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर, शिवनारायण कालसंग्रा, श्याम साहू, प्रवीण टाकलगी, अजय राहिरकर और जगदीश मालत्रेरे लोग शामिल है।