एसडीएम से मिलने पहुंची अधिकांश महिलाएं अनुसूचित जाति की थी और कुछ पुरुष आदिवासी थे। एसडीएम से शिकायत में लोगों का आरोप है कि जिन लोगों द्वारा 10 से 15 हजार तक की राशि दी गई है उनके नाम आवास सूची में फाइनल हो गए हैं। हमारे पास रिश्वत देने के लिए पैसा नहीं था इस कारण हमारा नाम सूची में नहीं रखा गया है।
विधवा महिला पार्वती वार्ड 9 का कहना था कि हमारे पास पेट भरने को पैसा नहीं है तो रिश्वत कहां से देंगे। पैसा नहीं है हमने पैसा नहीं दिया इस कारण हमारा आवास नहीं आया है।
वार्ड नं. 7 निवासी मनोज वाल्मीकि का कहना है कि मेरा कच्चा मकान है और सूची में मेरा नाम था। पटवारी और नगरपालिका कर्मचारी द्वारा मेरा आवास अपात्र कर दिया गया जबकि मैं जिस मकान रहा हूं वह खपरैल का है।
इस संबंध में एसडीएम का कहना है कि बुधवार को नगर परिषद पिछोर में लगभग एक दर्जन महिला एवं पुरुष आवास की समस्या को लेकर मिले। इसे लेकर नायब तहसीलदार आनंद गोस्वामी को सख्त निर्देश देते हुए कहा कि जो पात्र हैं उन्हें पात्र की सूची में अतिशीघ्र शामिल किया जाए । साथ ही दोबारा से जांच की जाए जिन लोगों के रिश्वत देकर नाम आए हैं उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाए।