दरअसल गेहूं की बोवनी कार्य ने गति पकड़ ली है जिससे इनदिनों डीएपी खाद की मांग बढ़ गई है। प्रशासन किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। किसान डीएपी खाद के लिए चक्कर लगा रहे है। इफको सेंटर पर दो दिन से डीएपी खाद वितरण बंद है। निजी दुकानों पर भी डीएपी खाद उपलब्ध नहीं है। जिससे डीएपी खाद की किल्लत बनी है। वहीं एनपीके, एनपकेएस खाद उपलब्ध है मगर किसान इसे लेने को तैयार नहीं। किसानों का कहना है कि उन्हें इस पर भरोसा नहीं है।
बता दे कि इफको सेंटर पर १०० टन डीएपी खाद आया था लेकिन दो दिन में ही खत्म हो गया। दो दिन से इफको सेंटर पर डीएपी खाद खत्म हो गई है। बरोठा स्थित सरकारी वेयर हाउस में भी डीएपी खाद मांग के अनुसार कम है। शानिवार- रविवार को अवकाश होने पर किसान इफको सेंटर पर पहुंचे।
एनपीके खाद डीएपी से बेहतर है। लेकिन किसान को डीएपी चाहिए। इस वजह से डीएपी खाद मांग रहा है। एनपीके खाद पर्याप्त उपलब्ध है। डीएपी खाद सरकारी गोदाम से बांटी जा रही है। किसानों को समझाया जा रहा है। डीएपी खाद मांग के अनुसार कम आ रही है लेकिन मारामारी नहीं है।
अशोक वर्मा, वरिष्ठ कृषि विकास अधिकारी डबरा