करीब 3 साल पहले रतनूपुरा मौजा में बेघर परिवारों को 517 पीएम आवास स्वीकृत किए गए थे। इनमें से 350 से अधिक आवासों में लोग रहने भी लगे हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं के आभाव में लोग परेशान हैं। ये सभी परिवार पेयजल के लिए बस्ती के दो हंैडपंपों के भरोसे हैं। घरों में पानी के स्टोरेज की ज्यादा व्यवस्था न होने के कारण दिनभर हैंडपंप से पानी लाने में ही गुजरता है। सुबह 6 बजे से देर रात तक पानी के लिए कतार लगी रहती है। कई बार पानी को लेकर विवाद भी हो चुके हैं। बस्ती के आसपास विद्युत पोल गाढ़ दिए गए हैं, लेकिन अंदर गलियों में पोल नहीं हैं। सीवर लाइन बिछाने के लिए गलियां पिछले दो माह से खुदी पड़ी हैं। अव्यवस्थाओं के चलते कई परिवार तो शहर में रहने को मजबूर हैं।
एप्रोच रोड भी कच्ची, दिन भर उड़ती है धूल भिण्ड से रतनूपुरा की दूरी करीब 3 किमी है। दो किमी तो पक्की रोड है, लेकिन एक किमी का रास्ता कच्चा है। वाहन निकलने के साथ हवा से धूल के गुबार उठने लगते हैं। कई स्थानों पर गड्ढे हो गए हैं। बरसात में तो यहां पर पहुंचना ही मुश्किल हो जाता है, जबकि इसी रोड पर नवनिर्मित जेल के अलावा ओबीसी, एससी छात्रावास और सीवर ट्रीटमेंट प्लांट भी है।
शहर आने के लिए वाहन की व्यवस्था नहीं पीएम आवास कॉलोनी में रहने वाले गरीबों को रोजगार के लिए रोज ३ किमी दूर भिण्ड आना होता है, लेकिन इस रोड पर कोई वाहन नहीं चलता। आवागमन के लिए पैदल और मिट्टी लाने वाले ट्रैक्टरों के अलावा कोई साधन नहीं है। दो साल पहले सूत्र सेवा का रूट यहां तक बनाया गया था, लेकिन वर्तमान में तो सूत्र सेवा ही ठंडे बस्ते में हैं।
कथन
पानी, सडक़, बिजली सभी सुविधाएं प्रक्रिया में हैं। 80 फीसदी काम हो चुका है। लॉकडाउन के कारण भी काम प्रभावित हुआ है। बुनियादी सुविधाएं जल्दी मिलनी शुरू हो जाएंगी।
-ज्योतिसिंह, सीएमओ नपा भिण्ड शहर से किराये का मकान छोडक़र बड़ी उम्मीदों के साथ यहां आए थे, लेकिन दो-ढ़ाई साल के बाद भी पानी लेने के लिए आधा किमी तक जाना पड़ता है। मजदूरी पर जाने के लिए रोज 10 किमी का सफर तय करना पड़ता है।
पानी, सडक़, बिजली सभी सुविधाएं प्रक्रिया में हैं। 80 फीसदी काम हो चुका है। लॉकडाउन के कारण भी काम प्रभावित हुआ है। बुनियादी सुविधाएं जल्दी मिलनी शुरू हो जाएंगी।
-ज्योतिसिंह, सीएमओ नपा भिण्ड शहर से किराये का मकान छोडक़र बड़ी उम्मीदों के साथ यहां आए थे, लेकिन दो-ढ़ाई साल के बाद भी पानी लेने के लिए आधा किमी तक जाना पड़ता है। मजदूरी पर जाने के लिए रोज 10 किमी का सफर तय करना पड़ता है।
-रामकांती, पीएम आवास हितग्राही