बीते दिनों वनप्राणी सप्ताह के तहत सेवढ़ा रेंज के जंगल में वन विभाग के अधिकारियों ने सीसीटीवी कैमरे लगवाए, क्योंकि यहां टाइगर ज्यादा समय व्यतीत करता था। लेकिन टाइगर सीसीटीवी कैमरे में नजर नहीं आया है। सेवढ़ा रेंज के अधिकारी तीन महीने में दो बार सर्चिंग अभियान चला चुके हैं, लेकिन टाइगर का पता नहीं चला है।
सेवढ़ा से लेकर देवगढ़ के किले में टाइगर का मूवमेंट होने को लेकर चार साल पहले फोरेस्ट अफसरों ने पेयजल स्रोत भी तैयार कराए थे। उन्हें डर था कि ङ्क्षसध नदी पर अवैध रूप से रेत खनन माफियाओं द्वारा किया जाता है, ऐसे में टाइगर की सुरक्षा को खतरा है, इसलिए टाइगर को नदी में पानी पीने के लिए न जाना पड़े, उसके लिए रास्ते में ही जगह-जगह सौर ऊर्जा से संचालित पानी के स्रोत बनाए गए थे।
टाइगर कहां है, इसकी जानकारी नहीं दी जा सकती है। रतनगढ़ के जंगल से निकलकर दूसरे क्षेत्र में है।
एचएस मोहंता, सीसीएफ, वन विभाग