इस बार ब्लॉक में करीब 46 हजार हेक्टेयर में गेहूं की फसल उगाई है। जो पिछले वर्ष के मुकाबले 10 हजार हेक्टेयर ज्यादा है। पिछले साल बारिश देर से होने से कृषि विभाग ने रकबा कम कर दिया था। किसान अच्छी खेती के चलते काफी खुश था लेकिन अब किसानों की चिंता बढऩे लगी है। ब्लॉक में 30 से 35 प्रतिशत कटाई मजदूरों के जरिए ही कराई जाती है लेकिन मजदूर आ नहीं पा रहे है। कंबाइन हार्वेस्टर से कटाई कराने वाले किसान भी परेशान है। इस बार केवल 20-25 हार्वेस्टर ही उपलब्ध है जो इतने बड़े रकबे के लिए नाकाफी है।
खुद ही शुरू कर दी कटाई टेकनपुर क्षेत्र में कुछ किसानों ने स्वयं कटाई कार्य शुरू कर दिया है। इन्हें डर है कि बाहर से आने वाले मजदूरों से संक्रमण का खतरा रहेगा। क्योंकि खेत में काम करने के दौरान उनसे संपर्क होगा।
आंधी पानी का भी भय मार्च के अंत से किसान कटाई की तैयार शुरू कर देते है। कटाई का काम अप्रैल माह में पूरा भी हो जाता है। मई में गर्मी का जोर रहता है इसलिए कटाई में ज्यादा वक्त लगता है। वहीं इस दौरान प्रकृति की मार का डर भी सताता है।
आगजनी का भी रहता है खतरा किसान के खेतों से होकर निकली बिजली की लाइनों में शॉर्ट सर्किट ज्यादा होते हैं और स्पार्किंग से निकली चिंगारी खेतों में खड़ी फसल को राख के ढेर में बदल देती है। पिछले साल की बात करें तो ब्लॉक में करीब एक दर्जन घटनाएं इसी तरह की हुई है जिससे किसानों को काफी नुकसान हुआ था।
ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा इस संबंध में वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी बीके मिश्रा का कहना है कि कटाई में थोड़ी बहुत देरी होगी पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। अधिकांश किसान कंबाइन से कटाई कराने लगे है क्योंकि उसमें समय कम लगता है।