3 लाख खड़े सागौन के पुराने पेड़ बचाने सजग नहीं वन अमला
नए सागौन के रूटस लगाने करोड़ों कर रहा खर्च
3 lakh standing teak old trees save, not alert forest staff
दमोह. वन विभाग हर साल करोड़ों रुपए खर्च सागौन का वनीकरण करने रूटस रोपता है। लेकिन जो सागौन के पेड़ बन गए हैं और जंगल का रूप ले चुके हैं, उनकी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दे रहा है। दमोह वन परिक्षेत्र के बांसा वृत में करीब 3 लाख से अधिक सागौन के पेड़ लगे हैं, जिनकी अंधाधुंध कटाई हो रही है। जिस पर वन अमला का ध्यान नहीं जा रहा है।
दमोह वन परिक्षेत्र के वृत बांसा अंतर्गत बीट बांसनी, खबैना और जमुनिया तक करीब 3 लाख के सागौन पेड़ लगे हैं, जिनकी लंबाई और मोटाई होने के कारण यहां सालों से अंधाधुंध कटाई चल रही है। रोज 100 से अधिक पेड़ काटे जा रहे हैं और उनकी बल्लियां बनाई जा रही है। इसके अलावा इस क्षेत्र में 100 से अधिक ईट भट्टों का संचालन किया जा रहा है, जिसके लिए भी सागौन की लकड़ी काटकर कोयला बनाया जा रहा है।
वन विभाग के समक्ष लगातार शिकायतें मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं की जा रही है, हाल ही में वन अमले ने कार्रवाई की जिसमें 60 से अधिक बल्लियां और जलाऊ लकड़ी जब्त कर पीओआर काटा गया था, जबकि इस वन परिक्षेत्र में प्रतिदिन सागौन के हरे-भरे पेड़ काटे जाने का सिलसिला जारी है।
बांसा वृत के खबैना व बांसनी बीट में सागौन के हरे भरे पेड़ लगातार काटे जा रहे हैं। जिनकी ठूंठे नजर आ रही हैं। इसके अलावा यहां पर बल्लियां भी एकत्रित कर स्टॉक की जा रही हैं, जिन्हें मौका लगने पर उठा लिया जाएगा।
आसपास के गांव वालों की मानें तो जमुनिया से लेकर बांसनी तक करीब 3 लाख सागौन के पेड़ लगे हैं, जिनके सुरक्षित रखने के लिए वन अमला सक्रिय नजर नहीं आता है। हर साल लाखों रुपए खर्च कर नए सागौन लगाने के लिए गड्ढे के लिए जाते हैं, नई नर्सरी तैयार की जाती है, लेकिन जो पेड़ लगे हैं, उन्हें बचाने की जहमत नहीं उठाती है। शिकायत करने कभी कभार 10-20 पेड़ों के कटाई का पीओआर काट लिया जाता है, फिर लकड़ी चोरों के हवाले जंगल कर दिया जाता है जिससे जंगलों का सफाया लगातार हो रहा है।
पुराने की परवाह नहीं नए पर करोड़ों खर्च
वन विभाग के मामलों के आरटीआइ कार्यकर्ता पवन नामदेव का कहना है कि गर्मियों में वन अमले द्वारा सागौन रोपण के लिए करोड़ों रुपए का बजट खर्च किा जाता है। एक सागौन के पौधे को पेड़ बनने में करीब 18 साल का समय लग जाता है, लेकिन जो सागौन पेड़ बन गए हैं फिर उनकी सुरक्षा पर ध्यान नहीं दिया जाता है। दमोह शहर से लेकर हथनी तक सागौन के पेड़ों का जंगल दिखाई देता था। सर्किट हाउस पहाड़ी के पीछे सागौन का जंगल था जिसका सफाया हो चुका है। नए प्लांटेशन के लिए जितने प्रयास किए जाते हैं उतने प्रयास जीवित पेड़ों को बचाने नहीं किया जाता है, जिससे आगे पाठ, पीछे सपाट की तर्ज पर दमोह वन परिक्षेत्र से सागौन के पेड़ों का सफाया हो रहा है।
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