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दमोह

चार बच्चों के बाद कराई नसबंदी फेल, पांचवां गर्भ में

लापरवाहियों की सजा भुगत रही महिला

दमोहDec 04, 2019 / 10:23 pm

Rajesh Kumar Pandey

After four children made sterilization failure, the fifth pregnancy

After four children made sterilization failure, the fifth pregnancy

दमोह. जबेरा क्षेत्र के हरदुआ सड़क की एक महिला ने चार संतानों के बाद दो साल पहले नसबंदी ऑपरेशन कराया था, लेकिन उसे फिर गर्भ ठहर गया और पिछले सात माह से गर्भवती है, लेकिन इतने माहों में जबेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र द्वारा गर्भ ठहरने से लेकर अब तक कोई मदद नहीं कर रहा है, उल्टे गांव की एएनएम उसे किसी प्रकार के दस्तावेज या जच्चा-बच्चा कार्ड भी उपलब्ध नहीं करा रही है।
हरदुआ सड़क गांव निवासी मायाबाई बर्मन (२८) की चार संतानें हैं, उसने दो साल पहले जबेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आयोजित शिविर में नसबंदी ऑपरेशन कराया था। सात माह पहले उसे गर्भ ठहर गया तो वह गांव की एएनएम दमयंती विश्वकर्मा के पास गई, लेकिन एएनएम ने इस मामले को लगभग दबाते हुए महिला के प्रसव के समय लगाए जाने वाले टीके लगा दिए और जबेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर नसबंदी ऑपरेशन फेल होने पर कराई जाने वाली प्रक्रिया को पूर्ण नहीं कराया गया।
पीडि़ता के पति घनश्याम रैकवार ने बताया पिछले सात माह से गांव की एएनएम, आशा कार्यकर्ता व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता मामले को दबाए हुए हैं। वह इस बीच जबेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र भी गया, लेकिन वहां डॉक्टर से लेकर बीएमओ तक सीधे मुंह बात करने तैयार नहीं है। जब वह पुन: मंगलवार को जबेरा बीएमओ डीके राय के पास पहुंचा तो उन्होंने कहा कि 100 में एकाध मामला आता रहता है, अब इसमें कुछ नहीं किया जा सकता है और न ही कोई मदद मिल पाएगी। जिससे पीडि़त वापस अपने घर आ गया।
घनश्याम रैकवार का आरोप है कि एएनएम दमयंती विश्वकर्मा उसके घर के बाजू में ही रहती है, जब पहले माह में गर्भ ठहरा तो उसकी जानकारी दी गई, जिस पर उसने दो इंजेक्शन लगाए। जब एएनएम से जच्चा-बच्चा कार्ड मांगा तो वह भी नहीं बनाया गया, बस दिलासा दे रही हैं कि चिंता मत करो हम देख लेंगे।
ऐसा ही मामला पहले भी आया था सामने
जबेरा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अंतर्गत नसबंदी फेल होने का यह पहला मामला नहीं है। इससे पहले नोहटा निवासी तीरथ सिंह लोधी की पत्नी लीला बाई जिसने भी चार संतानों के बाद जबेरा में नसबंदी ऑपरेशन किया था, उसका भी गर्भ ठहर गया था और दमोह मुख्यालय जब जानकारी पहुंची थी, उस समय उसके पेट मेें भी 7 माह का गर्भ पल रहा था।
तेंदूखेड़ा व हटा में भी आ चुके मामले सामने
दमोह जिले में नसबंदी फेल होने के मामले हटा व तेंदूखेड़ा क्षेत्र में भी सामने आए थे। हटा वाले मामले में तो विधायक ने भी पहल की थी, लेकिन नसबंदी फेल होने व लापरवाही के मामले में किसी पर भी कार्रवाई नहीं की गई थी।

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