हर दिन डालते हैं दाना –
विजय नगर निवासी सुशील सोनी बताते हैं कि परिवार के सदस्य हर दिन आंगन में एक परांत में चांवल के दाने पक्षियों के लिए एक परांत में रख देते हैं। जिसे चुगने के लिए हर दिन सैकड़ों की तादाद में तोता-मैना व कबूतर आते हैं। कई बार तो इस तरह के पक्षी भी दाना चुगने आए जिन्हें वह जानते तक नहीं। दाना चुगने के बाद वह आसमान में उड़ जाते हैं। यह क्रम उनका हर दिन चलता है।
12 सालों से जम रही महफिल
अंजना सोनी बताती हैं कि उनके घर दाना चुगने के लिए आने वाले पक्षियों का सिलसिला पिछले १२ सालों से चल रहा है। जिसमें परिवार को कोई भी सदस्य हर दिन एक परांत में दाना भरकर रख देते हैं। सुबह से तोता-मैना व अन्य पक्षी आकर दाना चुगते हैं। फिर पेट भरने के बाद आसमान में उड़ जाते हैं। उनकी मीठी आवाज से हर सुबह बहुत ही अच्छी होती है।
कथा के दौरान सुनी थी बात तब से पक्षियों से हो गया प्यार –
अंजना सोनी बताती हैं कि उन्होंने श्रीमद भागवत कथा में तोता की कहानी को भागवतार्च से सुना था। जिसमें उन्होंने कथा के दौरान यह भी संदेश दिया था कि पक्षियों के बिना प्रकृति अधूरी है। इसलिए हमें उनका संरक्षण करना चाहिए। तब से लेकर आज १२साल हो गए और वह हर दिन दाना चुगने के लिए परांत को भरकर आंगन में रखने लगीं।
दिन भर भरी रहती है दाना वाली परांत
परिजनों ने बताया कि सुबह करीब 5 बजे से लेकर दिन भर में वह कई बार दाना डालते हैं। दिन भर में आंगन में रखी परांत में तीन से चार बार तक दाना डालते हैं। पक्षियों का बारिश से लेकर ठंड तक नियमित आना होता है। लेकिन वह गर्मी में फिर कहीं और चले जाते हैं। फिर नहीं आते। कई बार तो ऐसा होता है कि कबूतर व तोता-मैना अलग-अलग शिफ्ट में आते हैं। जिससे दोनों पेट भरने के बाद उड़ जाते हैं, फिर शाम के समय भी पक्षियों का आना होता है। आंगन में रखी परांत को वह कभी खाली नहीं होने देते। दिन भर में करीब 2 से 3 किलो दाना डालती हैं।