‘जो खाना खाने आते हैं क्या वो दिल से अपनाते हैं’
बसपा विधायक रामबाई ने मंच से कहा कि हम एससी समाज से पूछ रहे हैं कि जो नेता आफके घर खाना खाने आते हैं, शादी समारोह में आते हैं क्या वो आपको सच में दिल से अपनाते हैं। जिस पर भीड़ ने जोर से चिल्लाकर कहा नहीं..इसके बाद विधायक रामबाई ने कहा कि यदि वो नेता हृदय से दलितों को नहीं अपनाते हैं तो फिर ये दिखावा क्यों करते हैं ? विधायक रामबाई यहीं नहीं रुकीं उन्होंने आगे कहा कि यदि दलित समाज का व्यक्ति ऊंचे पद पर होता है तो सभी समाज के व्यक्ति उसके पैर छूते हैं उसकी इज्जत करते हैं लेकिन यदि उसी समाज के व्यक्ति के पास कुछ नहीं है तो उसे नजरअंदाज कर देते हैं, उसे छूते तक नहीं है। रामबाई ने कहा कि ऐसा होने का कारण कोई और नहीं बल्कि आप खुद हैं। क्योंकि जब तक आप अपने जनप्रतिनिधि चुनकर नहीं भेजेंगे आपके हक की लड़ाई कोई और नहीं लड़ेगा। रामबाई ने सवालिया लहजे में ये भी कहा कि जो भी नेता या मंत्री दलितों के घर रोटी, पानी शादी ब्याह मे खाना खाने या मिलने आते हैं अगर वो दलितों को हृदय से नहीं अपनाता है तो उसे आपके घर आकर रोटी खाने की क्या जरुरत है? क्यों उनकी बड़ी बड़ी फोटो अखबारों और टीवी न्यूज चैनलों पर छपती व चलती हैं कि फलाने नेता ने दलित के घर जमीन पर बैठकर खाना खाया। जबकि किसी बड़े आदमी के घर खाना खाने पर तो फोटो नहीं छपती। क्योंकि तुम्हारे मन में भेदभाव है तुम छुआछूत को मानते हो इसलिए दिखावा करते हो।
फिल्म तांडव का किया जिक्र
रामबाई ने अपने संबोधन में हाल में आई फिल्म तांडव का जिक्र करते हुए कहा कि हमने फिल्म तांडव देखी है उसमें एक नेताजी अपने साथ गंगाजल लेकर चलते हैं और जब भी किसी एससी समाज के घर जाते थे तो लौटकर गाड़ी में बैठकर गंगाजल पी लेते थे और अपने ऊपर गंगाजल छिड़क लेते थे । ये फिल्म में हो रहा था असलियत में क्या होता है ये हम नहीं जानते, नेता क्या करते हैं ये तो भगवान ही जाने।
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