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दमोह

तांबा, जस्ता व सीसा अवैध खनन के लिए छोड़ा खुला

गौण खनिज से समृद्ध दमोह में दोहन के लिए नहीं खुले कारखाने
 

दमोहJul 11, 2021 / 09:05 pm

Rajesh Kumar Pandey

Copper, zinc and lead left open for illegal mining

Copper, zinc and lead left open for illegal mining

दमोह. दमोह जिला प्रकृति के अकूत भंडारों से समृद्ध जिला है। जंगल, पहाड़ नदियां अपने आसपास भू-गर्भीय अकूत भंडार समेटे हुए हैं। दमोह जिले में प्राकृतिक गैस के भंडार मिले हैं। दमोह जिले में गौण खनिज के अकूत भंडार है। दमोह जिले के तीन ब्लॉकों में चूना पत्थर के भू-गर्भीय भंडार हैं। जहां सीमेंट कारखाने खोले जा सकते हैं। इतना ही नहीं तांबा, जस्ता, सीसा व एल्युमिनियम पाया जाता है, जिसका अवैध खनन सालों से चोरी छिपे किया जा रहा है। इस संसाधन को सहेजने कारखानों की स्थापना दमोह जिले में नहीं की गई है।
दमोह जिले में जियोलॉजी और खनिज संपदा का अकूत भंडारण है, यह दमोह जिला खनिज विभाग में सूची बद्ध भी है। जिले में पेलियो प्रोरोटोजोइक से लेकर चतुर्थ शैल पाई जाती है। पासेलेनाइट, डोलोमिस्टक, लाइम स्टोन, चर्ट बसिया, डेक्कन बेसाल्ट, चूना पत्थर, डोलोमाइट, बलुआ पत्थर, शैल, लेटराइट, चर्ट बसिया, चर्टी डोलोमाइट मुख्य रूप से पाया जाता है।
कीमती खनिज का अवैध खनन
दमोह जिले के हटा ब्लॉक के चौरईया गांव में गैलेना, तांबा व जस्ता पाया जाता है। रजपुरा गांव के पास झिरी में संकुटिकाश्म में हीरे पाए जाने की संभावना है। यह रिपोर्ट सालों पहले खनिज विभाग की फाइलों में दबी है, जिसमें उल्लेख है कि इसका स्थानीय स्तर पर अवैध खनन किया जा रहा है, लेकिन खनिज विभाग ने कीमती खनिज को सहेजकर रोजगार में तब्दील करने के लिए कोई भी कार्ययोजना आज तक नहीं बनाई।
पथरिया में चूना पत्थर के भंडार
पथरिया ब्लॉक में चूना पत्थर जो सीमेंट की गुणवत्ता के लिए अकूत भंडार है। इस ब्लॉक के नरसिंहगढ़ में 1980 में सीमेंट का कारखाना लगा हुआ है। यह कारखाना अभी तक बोतराई, जगथर, नेगुवां व सतपारा गांव में ही चूना पत्थर का दोहन कर पाया है। जबकि इस ब्लॉक में नरसिंहगढ़, मिर्जापुर, बंसोली, सूखा, किशुनगंज, महुना, मैनवार, कबीरपुर व मंगोला में चूना पत्थर के भंडार भू-गर्भ में दबे हुए हैं।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जबेरा की उपेक्षा
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र जबेरा जहां से सबसे ज्यादा लोग पलायन करते हैं। यहां 1980 से पहले एक छोटा सीमेंट कारखाना था, जिसे सरकार और प्रशासन के असहयोगात्मक रवैए के कारण बंद कर दिया गया। इस क्षेत्र में भी चूना पत्थर के भंडारण है, जिसमें बंदरकोला, करौंदी मानगढ़, सगौड़ी खुर्द, कौड़ाखुर्द, राम सलैया व दानेबाबा क्षेत्र शामिल है। यहां स्ट्रेमोटिलक चूना पत्थर सीमेंट की श्रेणी का पाया जाता है। इस क्षेत्र का कारखाना बंद होने के बाद दूसरा सीमेंट कारखाना लगाकर आदिवासी क्षेत्र के विकास की इबारत अब तक नहीं लिखी गई।
गैसाबाद में नहीं खुल पाया कारखाना
हटा ब्लॉक में भी चूना पत्थर प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, यहां धूरखेड़ा, पुरैनाकांटी, पतरिया, पांजी, कनकतला, संकुला व निमरमुंडा में गौण खनिज मौजूद है। कांग्रेस सरकार के दौरान गैसाबाद में सीमेंट कारखाना लगाने की प्रक्रिया शुरू हुई थी, यहां 393 हेक्टेयर जमीन भी मिली थी, कृषि भूमि की अधिग्रहण की कार्रवाई चल रही थी। यहां 1400 करोड़ रुपए का इनवेस्ट किया जाना था। इस कारखाना से करीब 3 हजार लोगों रोजगार मिलना था, जिसमें 345 लोगों को प्रत्यक्ष रूप से व अन्य को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार दिया जाना था। साथ ही एक नया औद्योगिक क्षेत्र विकसित होने की संभावना जगी थी, लेकिन कांग्रेस सरकार गिरते ही दमोह जिले में लग रहे दूसरे सीमेंट कारखाने की उम्मीद भी गिर गई।
बटियागढ़ से वापस तीन कारखाने
दमोह जिले के बटियागढ़ ब्लॉक में सालों से औद्योगिक विकास की संभावनाएं तलाशी जा रही है। तीन कारखानों की चर्चाएं भी चली थीं। 2010 में इस ब्लॉक के गीदन गांव में 2250 करोड़ की लागत से स्टील प्लांट व पॉवर प्लांट की स्थापना की जाना थी। लेकिन यह औद्योगिक विकास भी धरातल पर नहीं आ पाया। इसके अलावा दो अन्य सीमेंट कारखाने खोले जाने के निवेश प्रस्ताव आए लेकिन वह भी केवल कागजी घोड़े साबित हुए।
प्रशासनिक सहयोग नहीं मिला
दमोह जिले में निवेशक भी आते हैं, लेकिन यह निवेश सत्ता सीन दल के कुछ नेताओं के कारण आते हैं, फिर सत्ता पक्ष के दूसरे नेता जिनकी प्रशासनिक पकड़ रही है, वह प्रशासनिक सहयोग कराने में सहयोग नहीं देते हैं। जमीन, पानी संबंधी सुविधाएं दिलाए जाने में प्रशासनिक अक्षमताएं सामने आई हैं, जिससे दमोह जिले में औद्योगिक विकास से रोजगार के अवसर दिलाने वाले रोड मैप पर आज तक ईमानदारी से काम नहीं किया गया है, दमोह जिले में गौण खनिज के अकूत भंडारण है, इनका दोहन करने के लिए कारखानें स्थापित नहीं हो पाए हैं।
 

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