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दमोह

उन्नाव रेपकांड जितना ही सेंसटिव देवेंद्र हत्याकांड, हटा में होगी सुनवाई

न्यायालय ने सुनाया निर्णय,हटा न्यायालय में ही होगी देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले की सुनवाई

दमोहAug 11, 2019 / 01:55 pm

Samved Jain

दमोह. हटा के चर्चित देवेंद्र चौरसिया हत्याकांड मामले में शुक्रवार को दोनों पक्ष सुनने के बाद शनिवार को जिला एवं सत्र न्यायाधीश ने अपना फैसला सुनाया। जिसमें विभिन्न कारणों को दृष्टिगत रखते हुए हटा न्यायालय में ही सुनवाई किए जाने का आदेश दिया है। 
15 प्रष्ठीय अंग्रेजी में दिए फैसले में उच्चतम न्यायालय के ८ निर्णयों का आधार लेकर उल्लेखित किया है कि अधिकांश गवाह हटा से जुड़े हुए हैं। उनके परिवहन एवं न्यायालय में उपस्थिति के दौरान सुरक्षा एवं निष्पक्षता के लिए हटा विचारण न्यायालय में ही इस मामले को चलाया जाना उचित होगा। न्यायालय ने यह भी बताया है कि इस मामले से जुड़े आरोपी का पूर्वतन आपराधिक रिकॉर्ड दोषसिद्धी हैं। यह दर्शित करता है कि वर्ष 2005 में हुए घटनाक्रम में उन व्यक्तियों की हत्या हुई थी जो घटना की गवाही से जुड़े हुए थे।
विचारण न्यायालय ने यह भी पाया है कि मामले से जुड़े आरोपीगण एवं इस मामले का आरोपी दमोह से महज 8-10 किमी दूरी पर निवास करता है। ऐसी स्थिति में प्रकरण के आहत एवं साक्षियों को विचारण के दौरान असुविधा एवं क्षति का सामना करना पड़ सकता है। न्यायालय ने अपने निर्णय में यह भी पाया है कि महज एक माह पहले उच्चतम न्यायालय ने एक सनसनी बलात्कार व हत्या के माले में स्वप्रेरणा से संज्ञान लेते हुए उन्नाव केस से संबंधित सभी मामलों को लखनऊ से दिल्ली बुला लिया है। दिन प्रतिदिन विचारण किए जाने का आदेश पारित किया है। इस मामले में त्वरित विचारण कर 45 दिवस के अंदर विचारण किए जाने के निर्देश भी सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं। हटा के मामले में मैं भी इस तरह की संवेदनशीलता से इंकार नहीं किया जा सकता।
साथ ही वह विचारण न्यायालय से त्वरित विचारण की अपेक्षा भी इस निर्णय के माध्यम से करते हैं। न्यायालय ने इस अंतरण याचिका की सुनवाई के दौरान चार पैरामीटर तय किए थे। जिसमें अभियुक्त का हित, साक्षियों का हित, विचारण पर प्रभाव, तथा इस निर्णय के माध्यम से समाज को मिलने वाले संदेश क्या होंगे, शामिल किया गया था।

इस मामले में विद्यान अधिवक्ता गजेंद्र चौबे सहित मनीष नगाइच ने वर्ष 2016 में उच्चतम नयायालय द्वारा पारित निर्णय का आधार लेकर उपरोक्त पैरामीटर भी इस मामले में शामिल किए जाने का निवेदन किया था। जिसमें संज्ञान लेते हुए यह निर्णय पारित किया गया। मामले में सुनवाई के दौरान शासन की ओर से मुस्तैद भूमिका अपनाते हुए सहायक संचालक वीरसिंह एवं शासकीय अभिभाषक मुकेश जैन मंटू ने पैरवी की।

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