मध्यम पेयजल परियोजनाओं के बजाए छोटी जल संरचनाओं पर जोर
मध्यम पेयजल परियोजनाओं के बजाए छोटी जल संरचनाओं पर जोर
Emphasis on small water structures instead of medium drinking water
दमोह. बुंदेलखंड के सूखे जिले दमोह को पानीदार बनाने के लिए कई मध्यम सिंचाई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। अब इसके इतर छोटी संरचनाओं से पानी रोकने की बात चल पड़ी है। हालांकि दमोह जिले में इन छोटी संरचनाओं से जल संरक्षण के नाम पर करोड़ों पानी में बह चुके हैं, अब फिर से पानी के काम में महिलाओं की भागीदारी से नई पहल की बात शुरू हो रही है।
दमोह जिले में दशकों से जल संरक्षण के नाम पर कई प्रयोग किए गए हैं, छोटे प्रयोग और बड़े प्रयोग शामिल रहे हैं, लेकिन इन सब प्रयासों के बाद भी दमोह जिले का खेती का रकबा बादलों की बारिश से प्यास बुझाने वाला ही है। दमोह जिले में पहले डबरा, ट्रेंच, चेकडैम, स्टापडैम, पोखर, तलैया, तालाब, खेत तालाब से पानी रोकने के प्रयास किए गए हैं। इसके बाद मध्यम सिंचाई परियोजनाओं में पंचमनगर, सतधारू, साजली व सीतानगर परियोजना शामिल हैं, जिन पर काम चल रहा है। दमोह जिले में बारिश का पानी संचित करने के लिए अनेक नियम बनाए गए लेकिन कहीं भी फॉलो नहीं किए गए हैं। बारिश का पानी छतों से जमीन में पहुंचाने के लिए रूफ वॉटर हॉर्वेस्टिंग पर अमल कहीं भी होता दिखाई नहीं दे रहा है। यहां तक हाल ही में बनाई गई सरकारी आवासीय योजनाओं में भी इसकी खुले रूप से अनदेखी सामने आती है। नगर पालिका परिषद की ही आवासीय कॉलोनी में इस नियम को फॉलो नहीं किया गया है, जबकि शहर में बनने वाले प्रत्येक मकान में नगरपालिका को पानी रोकने के इस उपाय का पालन कराने के लिए अधिकृत किया गया है।
मावठी बारिश ने बड़ा दिया जलस्तर
दमोह जिले में इस बार बादल कम बरसे हैं, बारिश का पानी आया और बह गया, दमोह जिले में रुका नहीं जिससे नवंबर माह से ही पानी का संकट दिखने लगा था, जल स्तर नीचे जाने लगा था, हैंडपंप हवा उगलने लगे थे, कुओं से लोग दो से तीन किमी पैदल चलकर पानी भरने विवश हो रहे थे, लेकिन मावठी बारिश की वजह से 30 से अधिक बारिश होने के कारण अब कुछ हद तक गिरता जलस्तर फिर से रीचार्ज होने लगा है और कुछ दिन के लिए दमोह जिले से जलसंकट टल गया है।
अब सामाजिक भागादीरी का प्रयास
राजस्थान के अलवर जिले में राष्ट्रीय जलविद् राजेंद्र सिंह द्वारा रोके गए पानी को मॉडल के रूप में दमोह के पथरिया ब्लॉक में भी जलसंरक्षण के प्रयास किए जाने की पहल की जा रही है। जिसमें महिलाओं की भागादारी के हिसाब से छोटी-छोटी जलसंरचनाओं को तैयार कराया जाएगा। इसमें एक टीम लीडर रहेगी, शेष महिला सदस्य रहेंगी, जिन्हें खाद्यान्न उपलब्ध कराया जाएगा। साथ ही शासन से मिलने वाली राशि भी आपस में भागीदारी में बांटी जाएगी।
जलसमितियां बनाई जाएंगी
पथरिया ब्लॉक से शुरू हो रहे जलसंरक्षण कार्यों के लिए जल समितियां बनाई जाएंगी। यह ब्लॉक इसलिए भी मॉडल के रूप में लिया गया है, क्योंकि यहां पानी का दोहन सबसे ज्यादा हो रहा है। यहां पर खदानों के माध्यम से भी भू-गर्भीय पानी का जमकर दोहन हो रहा है। जिसमें आसपास के स्रोतों को संरक्षण करने के प्रयास शुरू हो रहे हैं।
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