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दमोह

अगर आप एटीएम चलाते हैं तो चिप वाले एटीएम में कर लें यह अपडेट, बचेंगे धोखाधड़ी से

एक लाख उपभोक्ताओं को जारी हो रहे चिप वाले एटीएम कार्ड बचेंगे धोखाधड़ी से 

दमोहDec 18, 2018 / 12:56 pm

lamikant tiwari

अगर आप एटीएम चलाते हैं तो चिप वाले एटीएम में कर लें यह अपडेट, बचेंगे धोखाधड़ी से

अगर आप एटीएम चलाते हैं तो चिप वाले एटीएम में कर लें यह अपडेट, बचेंगे धोखाधड़ी से

लक्ष्मीकान्त तिवारी दमोह. अज्ञात फोन से लगातार हो रही ठगी के बाद अब रिजर्व बैंक ने नए एटीएम कार्ड जारी कर दिए हैं। जिसमें एक चिप लगाई गई है। जिससे कोई भी आम आदमी अब ठगी करने में सफल नहीं हो सकेगा। इसके लिए जिले में भी चिप वाले एटीएम कार्ड आना शुरू हो गया है। नए एटीएम कार्ड में लगी चिप से कोई भी व्यक्ति अब छेड़छाड़ नहीं कर सकेगा।
ऐटीएम से धोखाधड़ी की बढ़ती वारदातों को देखते हुए आरबीआई ने सुरक्षा के हिसाब से नए तरीके अपनाए हैं । जिसमें आरबीआई के आदेश पर बैंकों ने एटीएम कार्ड में बदलाव शुरू किया है। जिसमें नए एटीएम कार्ड को पहले की अपेक्षा चुप के माध्यम से कई गुना सुरक्षित और पुख्ता बनाया गया है। एक जनवरी से इस बड़े बदलाव को लेकर बैंकों ने उपभोक्ताओं को नए एटीएम कार्ड भेजना शुरू कर दिया है। इसमें कार्ड में लगी चिप के कारण कोई भी एटीएम कार्ड की क्लोनिंग नहीं कर सकता है। नए एटीएम कार्ड का उपयोग शुरू होने के बाद से धोखाधड़ी और क्लोनिंग जैसी वारदातों पर अंकुश लगेगा।
नया कार्ड आने पर ऐसे बनाएं पिन –
नया एटीएम मिलने पर खाता धारक को संबंधित एटीएम केंद्र में जाकर कार्ड को स्वैप करना होगा। स्वैप करने के बाद उपभोक्ता से कंफर्म करने की जानकारी मांगी जाएगी । इसमें खाता धारक का नाम खाता नंबर मोबाइल नंबर आदि जानकारी देना होगी। जानकारी पूरी दर्ज करने के बाद उपभोक्ता के मोबाइल नंबर पर पिन आएगा। यह पिन नंबर भी विशेष तरह से जनरेट किया जाएगा।
इस तरह होती थी धोखाधड़ी-

एटीएम कार्ड का उपयोग एक तो एटीएम में किया जाता है, दूसरा एटीएम कार्ड का उपयोग डेबिट कार्ड की तरह भी होता है। इसमें एक ओर मैग्नेट स्ट्रिप लगी होती है। जिसे स्वैप करने और पासवर्ड डालते ही रुपए निकल आते हैं । कोई भी व्यक्ति गुपचुप तरीके से खुफि या कैमरों की मदद से कार्ड का नंबर और पासवर्ड पता कर लेते हैं। इसके बाद एटीएम कार्ड की क्लोनिंग कर खाते से रुपए उड़ा लेते हैं । इस तरह की धोखाधड़ी सामने आई है। लेकिन इस पर नियंत्रण करने के लिए एटीएम में भी एक व्यक्ति के रुपए निकालने के दौरान दूसरे व्यक्ति की एंट्री में प्रतिबंध रहेगा। अभी लोग एटीएम का नंबर पूछकर व पासवर्ड पूछकर रुपए ट्रांस्फर कर लेते थे। लेकिन अब आसान नहीं होगा।
यह रखें सावधानियां –
स्थानीय एसबीआई मेनब्रांच के प्रबंधक बीएस बघेल ने बताया कि लोगों के पास बैंक से किसी भी तरह से फोन नहीं किए जाते हैं। उपभोक्ताओं को इसका ध्यान रखना चाहिए कि यदि उनके पास कोई फोन करके उसका एटीएम बंद करने की जानकारी दे रहा है या फिर उसका पासवर्ड पूछ रहा है। तो उसे कुछ भी नहीं बताना चाहिए। बल्कि उसे संबंधित बैंक जाकर स्वयं ही जानकारी लेना चाहिए। धोखाधड़ी करने वाले आरोपी के चंगुल में किसी भी उपभोक्ता को फंसना नहीं चाहिए।
एक लाख से अधिक हैं उपभोक्ता-

एसबीआई मेनब्रांच प्रभारीबीएस बघेल ने बताया है कि उनकी शाखाओं के अंतर्गत करीब एक लाख से अधिक उपभोक्ता हैं। अभी तक कितने उपभोक्ताओं के पास एन चिप वाले एटीएम पहुंचे हैं। इसकी जानकारी उन्हें नहीं हैं। क्योंकि वह सीधे मुख्यालय से भेजे जाते हैं। जो उपभोक्ताओं के स्वयं के पते पर होते हैं। हालांकि जानकारों का मानना है कि अभी तक करीब २० प्रतिशत नवीन कार्ड आ चुके हैं।
नए कार्ड में ऐसी होगी सुरक्षा –

– एसबीआई द्वारा जारी किए गए कार्ड में एटीएम में लगी चिप से सुरक्षा की गारंटी होगी।
– कार्ड की क्लोनिंग नहीं की जा सकेगी।
– आधुनिक वर्जन का मैग्नेटिक चिप लगा होगा जिसमें खुफि या कैमरे से नंबर नहीं पढ़े जा सकेंगे।
सायबर सेल ने दिलाए इनके रुपए-
अक्सर ठगी होने के बाद मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं। जिसमें एसपी कार्यालय में स्थित सायबर सेल की मदद से उपभोक्ताओं से हुई ठगी का पता लगाया जाता है। सोमवार को भी कुछ इसी तरह का एक मामला देखने मिला। जिसमें एक उपभोक्ता से हुई १६ हजार रुपए की ठगी के बाद उसके रुपए उसे वापस दिलाए गए। मामले में पीडि़त अभिषेक राजपूत ने बताया कि उसके रुपए निकलने के बाद उसने पुलिस में शिकायत की थी। जिसके बाद सायबर सेल प्रभारी राकेश अठया व अजीत दुबे ने तत्काल अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी। जिससे उसके १४ हजार रुपए वापस खाते में आ गए थे। केवल दो हजार रुपए का ही नुकसान हुआ था।
ओटीपी से किया था रुपयों का ट्रारंस्फर –
सिविल वार्ड निवासी अभिषेक राजपूत ने बताया कि अज्ञात व्यक्ति ने उनसे ओटीपी नंबर पूछकर उसके खाते से १६ हजार रुपए की ठगी करते हुए ४ दिसंबर ओपीटी नंबर पूछकर १६ हजार रुपए ऑनलाइन खरीदी में ट्रांसफर कर लिए थे। लेकिन सायबर की मदद से १३ दिसंबर को उसके खाते में १४ हजार रुपए वापस आ गए।

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