नया एटीएम मिलने पर खाता धारक को संबंधित एटीएम केंद्र में जाकर कार्ड को स्वैप करना होगा। स्वैप करने के बाद उपभोक्ता से कंफर्म करने की जानकारी मांगी जाएगी । इसमें खाता धारक का नाम खाता नंबर मोबाइल नंबर आदि जानकारी देना होगी। जानकारी पूरी दर्ज करने के बाद उपभोक्ता के मोबाइल नंबर पर पिन आएगा। यह पिन नंबर भी विशेष तरह से जनरेट किया जाएगा।
स्थानीय एसबीआई मेनब्रांच के प्रबंधक बीएस बघेल ने बताया कि लोगों के पास बैंक से किसी भी तरह से फोन नहीं किए जाते हैं। उपभोक्ताओं को इसका ध्यान रखना चाहिए कि यदि उनके पास कोई फोन करके उसका एटीएम बंद करने की जानकारी दे रहा है या फिर उसका पासवर्ड पूछ रहा है। तो उसे कुछ भी नहीं बताना चाहिए। बल्कि उसे संबंधित बैंक जाकर स्वयं ही जानकारी लेना चाहिए। धोखाधड़ी करने वाले आरोपी के चंगुल में किसी भी उपभोक्ता को फंसना नहीं चाहिए।
– कार्ड की क्लोनिंग नहीं की जा सकेगी।
– आधुनिक वर्जन का मैग्नेटिक चिप लगा होगा जिसमें खुफि या कैमरे से नंबर नहीं पढ़े जा सकेंगे।
अक्सर ठगी होने के बाद मामले पुलिस के पास पहुंचते हैं। जिसमें एसपी कार्यालय में स्थित सायबर सेल की मदद से उपभोक्ताओं से हुई ठगी का पता लगाया जाता है। सोमवार को भी कुछ इसी तरह का एक मामला देखने मिला। जिसमें एक उपभोक्ता से हुई १६ हजार रुपए की ठगी के बाद उसके रुपए उसे वापस दिलाए गए। मामले में पीडि़त अभिषेक राजपूत ने बताया कि उसके रुपए निकलने के बाद उसने पुलिस में शिकायत की थी। जिसके बाद सायबर सेल प्रभारी राकेश अठया व अजीत दुबे ने तत्काल अपनी कार्रवाई शुरू कर दी थी। जिससे उसके १४ हजार रुपए वापस खाते में आ गए थे। केवल दो हजार रुपए का ही नुकसान हुआ था।
ओटीपी से किया था रुपयों का ट्रारंस्फर –
सिविल वार्ड निवासी अभिषेक राजपूत ने बताया कि अज्ञात व्यक्ति ने उनसे ओटीपी नंबर पूछकर उसके खाते से १६ हजार रुपए की ठगी करते हुए ४ दिसंबर ओपीटी नंबर पूछकर १६ हजार रुपए ऑनलाइन खरीदी में ट्रांसफर कर लिए थे। लेकिन सायबर की मदद से १३ दिसंबर को उसके खाते में १४ हजार रुपए वापस आ गए।