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दमोह

जलसंसाधान विभाग की जमीन पर अवैध कब्जा

रिटायर्ड इइ ने खरीदी 23 लाख की जमीन

दमोहJun 07, 2020 / 09:40 pm

Rajesh Kumar Pandey

Illegal possession of water resources department

Illegal possession of water resources department

दमोह. कलेक्टर बंगला के बाजू से हजारी की तलैया में जल संसाधन विभाग की पंचम नगर परियोजना का कार्यालय व आवासीय क्वार्टर बनाए गए थे। इस परिसर के आसपास अवैधानिक कब्जे होने लगे और ४१ एकड़ भूमि पर आलीशान मकान बन गए। यह जमीन जलसंसाधन विभाग के पंचमनगर योजना के नाम पर दर्ज है, लेकिन यहां के अवैध कब्जों पर रजिस्ट्री कार्यालय द्वारा अपनी मुहर लगाकर रजिस्ट्री कराई जा रही है। एक ऐसा ही मामला सामने आया तो शिकायतकर्ता कोतवाली में एफआइआर दर्ज कराई है।
कलेक्टर बंगला के बाजू से सरकारी जमीन पर सालों अवैधानिक कब्जे होते रहे हैं। इसी जमीन की खरीद फरोख्त का भी मामला सामने आया है। जिसमें दिलचस्प बात यह आई है कि जलसंसाधान विभाग के रिटायर्ड इइ ने ही अवैधानिक जमीन खरीदी जिसकी बाकायदा 23 लाख रुपए की रजिस्ट्री कराई गई है।
शिकायतकर्ता नारायण त्रिपाठी ने सिटी कोतवाली में 1 अप्रेल 2017 को एक लिखित आवेदन दिया था। जिसकी सिटी कोतवाली द्वारा 14 नवंबर 2019 को जांच कर ली गई थी। जिसमें पाया गया कि मौजा धरमपुरा वार्ड दमोह के खसरा नं. 173 रकबा 1.४१३ हेक्टेयर मद भू जल मप्र शासन चांदा 2 गुम, हजारी की तलैया में दर्ज है, लेकिन उक्त भूमि शांति बाई पति नारायण राठौर निवासी मांगज वार्ड क्रमांक 3 ने जानकी बाई पति सुंदरलाल अहिरवार रिटायर्ड इइ जलसंसाधन विभाग को बेच दी। उप पंजीयक कार्यालय की उपपंजीयक कमला सैनी ने उक्त भूमि की रजिस्ट्री भी कर दी गई।
सिटी कोतवाली द्वारा की गई जांच को लगातार दबा दिया जाता रहा, जिस पर एफआइआर दर्ज नहीं की जा रही थी, शिकायतकर्ता द्वारा लगातार पुलिस के उच्चाधिकारियों तक गुहार लगाई गई। आखिरकार सिटी कोतवाली में 4 जून 2020 को मामला दर्ज कर लिया गया है।
जल संसाधान विभा पंचम नगर परियोजना के लिए आरक्षित जमीन पर यति विहार व छात्रावास के लिए कुछ जमीन हंस्तारित की गई थी। शेष पूरी जमीन पर आलीशान मकान बन गए। इसके बाद इन मकानों को अब प्रभावशाली खरीद रहे हैं, जिनके लिए रजिस्ट्री विभाग में फर्जी रजिस्ट्री भी कराई जा रही हैं। जानकार बताते हैं कि यहां 50 से अधिक रजिस्ट्री हुईं हैं, जिनमें 20 से 25 लाख रुपए दर्ज किए गए हैं।
शिकायतकर्ता नारायण त्रिपाठी का आरोप है कि रजिस्ट्री कार्यालय में उपपंजीयक द्वारा इस जमीन की रजिस्ट्री कराने के एवज में 1 से 2 लाख रुपए की रिश्वत ली गई है। यदि प्रशासन जांच करे तो रजिस्ट्री कार्यालय में बड़ा घोटाला सामने आएगा। इसके अलावा प्रभावशालियों की रजिस्ट्री की आड़ में जो लोग रह रहे हैं वह भी अपने मकानों की रजिस्ट्री करा रहे हैं, जिससे पंचमनगर परियोजना की 41 एकड़ जमीन पूरी खुर्द-बुर्द कर दी गई है।
 
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