शहर के सबसे व्यस्ततम क्षेत्र बसस्टैंड से चंद कदमों की दूरी पर स्थित एक कोचिंग सेंटर का संचालने दूसरी मंजिल पर चल रहा है। यहां जाने के लिए एक मात्र सीढिय़ों का सहारा है। उसी सीढिय़ों से आना-जाना होता है। करीब दर्जन भर दुकानों से घिरे इस सेंटर में सुबह व शाम को अलग-अलग पालियों में कोचिंग पढ़ाई जा रही है। इसी तरह से थोड़ा और आगे टंडन बगीचा में करीब आधा दर्जन कोचिंग सेंटर्स संचालित हो रहे हैं। जिसमें पहली मंजिल पर जाने के लिए लोहे की घुमावदार सीढ़ी बनाई गई है। जिसमें सहज ही एक व्यक्ति को जाने में परेशानी होती है उसे सम्हाल कर चढऩा पड़ता है। फिर यदि कोई हादसा होता है तो आलम क्या होगा, यह सहज ही अंदाज लगाया जा सकता है।
इस कोचिंग सेंटर्स में सैकड़ों छात्र-छात्राओं का आवागमन होता है। जहां पर भारी भीड़ जैसा माहौल रहता है। कोचिंग सेंटर्स में अलग-अलग क्षेत्रों के विद्यार्थी पहुंचते हैं। जिनकी कोचिंग का समय सुबह व शाम दोनों टाइम रहता है। टंडन बगीचा में भी संचालित होने वाली कोचिंग सेंटर्स का समय भी सुबह शाम रहता है। नियमितरूप से करीब एक हजार से अधिक बच्चों के आने-जाने का क्रम लगा रहता है।
दूसरी मंजिल तक पहुंचने के लिए केवल एक ही रास्ता है। जिससे आवागमन करने के दौरान यदि कोई ऊपरी मंजिल से नीचे की ओर आ रहा है, तो नीचे से जाने वाले व्यक्ति को साइड में दीवाल से चिपककर निकलने की जगह देना पड़ती है। एक साथ यदि सभी विद्यार्थियों को निकलना पड़े तो ऐसा एक बार किसी भी कीमत पर संभव नहीं हो सकता। इसी तरह से अन्य कई कोचिंग सेंटर्स में देखने मिला। जहां पर आने-जाने के लिए केवल एक ही रास्ता है।
हादसे के वक्त नहीं पहुंच सकता फायर बिग्रेड –
सूरत में हुई घटना को लेकर शहर के लोग भी खासे चिंतित हैं। जिन्हें अब ऊपरी मंजिलों पर लगने वाली कोचिंग से खतरा दिखाई देने लगा है। खास बात यह है कि बसस्टैंड से किल्लाई नाका जाने वाले मार्ग पर स्थित कोचिंग सेंटर्स की अगर बात की जाए तो यहां पर कोचिंग सेंटर्स के कॉम्पलेक्स में आग लगने की घटना घटित होती है तो यहां पर फायर बिग्रेड का पहुंचपाना संभव नहीं हो सकेगा। ऐसे में आग पर नियंत्रण पाने प्रशासन को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। टंडन बगीचा में भी यह स्थिति बन सकती है।
नहीं है अग्निशमन यंत्र का इंतजाम –
कोचिंग सेंटर्स के साथ कॉम्पलेक्स की किसी भी दुकान में अग्निशमन का यंत्र मौजूद नहीं है। कोचिंग सेंटर्स में आने वाले सैकड़ों विद्यार्थियों की जानमाल की सुरक्षा भगवान भरोसे है। किसी भी अग्निकांड के दौरान आग पर काबू पाने के लिए अग्निशमन यंत्र का इंतजाम नहीं है। जिससे किसी बड़े खतरे पर नियंत्रण पाने में कोई कारगर उपाय नहीं हो सका। जिससे आग पर नियंत्रण पाया जा सके। टंडन बगीचा में संचालित कोचिंग सेंटर्स में से केवल एक कोचिंग सेंटर्स में अग्निशमन यंत्र पाया गया। वह भी सूरत की घटना के बाद अर्थात शनिवार को ही लगाए जाने की बात स्वयं कोचिंग संचालक स्वप्निल जैन ने कही है। हालांकि यह कोचिंग सेंटर्स ग्राउंड फ्लोर पर स्थित है।
अभिभावकों की राय –
अभिभावक नारायण रावत, बहादुर सिंह ठाकुर, संजय तिवारी, मनोहर लाल, राघवेंद्र सिंह, मनोज कुमार जैन कहते हैं कि हर कोई बच्चों का बेहतर भविष्य चाहता है। ऐसे में कोई भी माता-पिता अपने बच्चों के भविष्य को लेकर आर्थिकरूप से हाथ नहीं सिकोड़ते। ऐसे में कोचिंग संचालक मोटी रकम लेकर भी बच्चों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते तो यह अच्छी बात नहीं है। प्रशासन को चाहिए कि वह कोचिंग सेंटर्स या अन्य जो भी भीड़ एकत्रित होने वाले संस्थान हैं वहां पर अग्निशमन यंत्र अनिवार्य कर दें। साथ ही कोचिंग सेंटर्स चलाने के उसे ही अनुमति दें जो खुले क्षेत्र में कोचिंग सेंटर्स चलाए जहां पर फायर बिग्रेड का आना जाना हो सके।
सीएसपी के साथ करेंगे निरीक्षण-
सूरत का हादसा काफी दर्दनाक था। हादसे के बाद मैंने सीएसपी के साथ सभी कोचिंग सेंटर्स पर जाकर निरीक्षण करने की योजना बनाई है। कल से ही इसे अभियान के रूप में लिया जाएगा। जहां सुरक्षा व्यवस्था के इंतजाम नहीं होंगे और नियमानुसार नहीं पाए जाएंगे वहां पर कोचिंग सेंटर्स के संचालकों पर कार्रवाई की जाएगी।
रविंद्र चौकसे – एसडीएम दमोह